जालंधर। जालंघर जिले में पुराने स्टांप पेपरों से फर्जीवाडे का मामला सामने आ रहा है. फिलहाल राज्य में इस प्रकार के फर्जीवाड़े के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने ऑनलाइन स्टांप पेपर जारी करना शुरू कर दिया है, लेकिन कुछ स्टांप वेंडरों के पास पुराने स्टांप पेपरों का स्टाॅक होने से फर्जीवाड़े कर रोजाना लाखों रुपये का चूना सरकार को लगा रहे हैं.

तहसीलों में बैठे स्टांप वेंडर रोज लाखों रुपयों की काली कमाई कर रहे हैं. इनके द्वारा पुराने स्टांप पेपरों की कालाबाजारी की जा रहीहै. इसके पीछे कारण यह है कि जिस व्यक्ति को पुरानी तारीख में कोई दस्तावेज बनाना होता है, उसे खाली स्टांप पेपर, उसी तारीख का बेचकर फर्जीवाड़ा के घटना को अंजाम दिया जा रहा है.

मिली जानकारी के मुताबिक, स्टांप वेंडरों के पास से पुरानी तारीख में स्टांप नहीं मिलता है. ऐसे में स्टांप पेपर के वेंडर 500 रुपए के स्टांप पेपर को 10 हजार रुपए में बेचा रहा है.

ग्रामीण रजिस्टर का किया जा रहा उपयोग

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वेंडरों द्वारा लाइसेंस लेकर स्टांप पेपर की फर्जीवाड़ा करते है. तहसीलों में स्टांप पेपरों की कालाबाजारी करने वाले वेंडरों के पास दो-दो रजिस्टर होता है. ग्रामीण और शहरी इलाकों के लिए स्टांप वेंडरों ने लाइसेंस बना रखे है. ग्रामीण इलाकों में स्टांप पेपर शहरी इलाकों की अपेक्षा कम बिकता है, इसलिए रजिस्टर अधिकतर खाली रहते है. स्टांप वेंडरों द्वारा स्टांप पेपर जारी करने के लिए ग्रामीण रजिस्टर का प्रयोग करते है. रजिस्टर पर पुरानी तारीख में एंट्री डालकर स्टांप पेपर जारी कर देते है.

इस इलाके में चल रहा कालाधंधा

तहसीलों में स्टांप पेपर का कालाबाजारी सिर्फ वेंडरों के दम पर नहीं चल रहा, बल्कि इस पूरे ब्लैक धंधे में एक चेन है. मिलीभगत से चल रहा इस धंधे में तहसील से लेकर अर्जीनवीस और नंबरदार तक शामिल हैं. पुराने स्टांप पेपरों का उपयोग मरे हुए व्यक्ति को जिंदा करने में किया जाता है. पुरानी तारीख में मरे व्यक्ति के नाम पर दस्तावेज तैयार करते है. फिर इसका प्रयोग जमीनों के कार्यों में किया जाता है.

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