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रायपुर. इंटरनेट पर बीमारी, दवाई या टेस्ट रिपोर्ट समझने की कोशिश करने वालों की संख्या कम नहीं है. कई लोग बीमारियों के लक्षण और इलाज खोजने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं. वे बीमारी के बारे में इंटरनेट पर पढ़ते हैं. कई बार तो देखने में आता है कि मरीज अपनी सुविधा और ज्ञान के आधार पर कई जांच करवाते हैं. इंटरनेट से उसकी बीमारी के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं, लेकिन जो जानकारी वे पढ़ रहे हैं उसका अपनी समझ के अनुसार मतलब ना निकालें. ऐसा करने से उन्हें और उनके डॉक्टर दोनों को परेशानी उठानी पड़ती है.
बीमार होने पर खुद से जांच शुरू करना और इंटरनेट से दवा लेना बहुत सामान्य बात है. कई बार खुद से इंटरनेट पर लक्षण के आधार पर दवा लेने से बीमारी का गलत इलाज हो जाता है. दवाई का गलत प्रभाव पड़ने लगता है, जिससे बीमारी ठीक होने की जगह और बढ़ जाती है. कई बार जान जाने की भी स्थिति पैदा हो जाती है. लोगों को इससे बचना चाहिए. ज्यादातर महिलाएं गर्भपात के लिए बिना किसी डॉक्टर की सलाह से गूगल से गर्भपात की दवा ले लेती हैं और जान जोखिम में डाल देती हैं.
लोगों में दवाइयों का इस्तेमाल जानने को लेकर भी काफी उत्सुकता होती है. वे इस्तेमाल से लेकर दवाईयों के दुष्प्रभाव तक इंटरनेट पर खोजने लगते हैं. आज कल इंटरनेट को डॉक्टर बनाने का चलन तेजी से पैर पसार रहा है. लोग बीमार होने पर डॉक्टर की जगह इंटरनेट पर सर्च कर दवाइ ले रहे हैं. किसी बीमारी में क्या इलाज करना है एक डॉक्टर से बेहतर और कोई नहीं बता सकता. डॉक्टर पहले जांच करता है और उसी के आधार पर इलाज करता है. जिस बीमारी का जो बेहतर इलाज है उसे ही कराना चाहिये, लेकिन बिना डॉक्टर के अपने मन से कोई दवाई नहीं खानी चाहिए.
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