मरू प्रदेश निर्माण मोर्चा पिछले 13 सालों से पश्चिमी जिलों का अलग प्रदेश बनाने को मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है. ये यात्रा श्रीगंगानगर से शुरू होकर हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, सीकर से होकर जयपुर पहुंचेगी. 23 जनवरी को शुरू हुई ऊंट महायात्रा 15वें दिन चौमूं पहुंची. इस महायात्रा में 75 ऊंट गाड़ी में हजारों समर्थक सवार है. 17 दिनों में 700 किलोमीटर लंबी यह यात्रा 7 फरवरी को जयपुर पहुंचेगी. यह यात्रा जयपुर पहुंचकर मरू प्रदेश की मांग के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन सौंपेंगे.

अलग प्रदेश की मांग का सबसे बड़ा कारण

मरू प्रदेश के 13 जिलों में देश का 27 प्रतिशत तेल, सबसे महंगी गैस, खनिज पदार्थ, कोयला, यूरेनियम, सिलिका आदि का एकाधिकार है. एशिया का सबसे बड़ा सोलर हब और पवन चक्कियों से बिजली प्रोडक्शन यहां हो रहा है. इन जिलों से अरबों रुपयों की रॉयल्टी सरकार कमा रही है, लेकिन इन जिलों में पीने का पानी, रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, स्पोट्र्स और सैनिक स्कूल, खेतों को नहरों का पानी जैसी समस्यायों से आम जनता जूझ रही है. Read More – बच्चों को इस तरह सीखाएं किचन के ये छोटे-छोटे काम, साथ ही बनाएं उन्हें सेल्फ डिपेंडेंट …

1953 से चल रही है मरू प्रदेश की मांग

वर्ष 2008 से मरू प्रदेश की मांग प्रदेश में चर्चा का विषय बनी. जयबीर गोदारा ने अपने साथियों संग ये मांग उठाते हुए कहा कि ये पुरानी मांग है. 1953 में जब राजस्थान बन रहा था, तब जोधपुर और बीकानेर रियासत के राजाओं ने मरू प्रदेश की मांग रखी थी. Read More – आंखों का ध्यान रखने और तेज रौशनी के लिए दिनचर्या में शामिल करें ये एक्सरसाइज, स्वस्थ रहेंगी आंखे …

उस समय कई ज्ञापन दिए गए. 1956 में बीकानेर राजघराने के आव्हान पर बीकानेर बंद भी रहा था. तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को तत्कालीन सीएम भैंरोसिंह शेखावत ने पत्र लिखकर कहा था कि अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर व विकास को देखते हुए राजस्थान के दो टूकडे किए जाएं. गौरतलब है कि 2008 से अब तक कई बार ये मांग उठाई जा चुकी है.