पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के दक्षिण उदंती, इंदागांव परिक्षेत्र में 5 से ज्यादा तालाब गहरीकरण और नए तालाब निर्माण का कार्य चल रहा है, जहां जिम्मेदार मजदूरों के हक पर डाका डाल रहे हैं. लाखों के तालाब में लाखों का करप्शन गेम खेला जा रहा है. मजदूरों की जगह पोकलेन मशीनें और ट्रैक्टर काम कर रहे हैं. मजदूरों को काम नहीं दिया गया है. ऐसे में कमीशन और करप्शन की बू आ रही है. जनपद सदस्य ने मजदूरों की उपेक्षा का आरोप लगाया है.

दरअसल, उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के दक्षिण उदंती और इंदागांव परिक्षेत्र में तालाब निर्माण का कार्य चल रहा है. गहरीकरण, सफ़ाई कार्य 3 लाख का तो नए तालाब 6 और 10 लाख के लागत से बन रहे हैं. वन भैंसा प्रजनन केंद्र के पीछे मौजूद बीरा बाड़ा जो कि कक्ष क्रमांक 82 में मौजूद है. वहां चल रहे नए तालाब खुदाई के काम को देखा गया. पोकलेन की दो मशीनें मिट्टी खुदाई में लगी थीं. साथ ही 4 ट्रैक्टर मिट्टियां डाल कर मेढ़ बना रहे थे.

काम की देख रेख में कोई विभागीय कर्मी नही था. एक फ़ायरवाचर मौजूद था. इंदागांव निवासी हेमराज पाथर मशीन पर बैठा था. उसने पूछने पर बताया कि सोमवार से काम शुरू किया गया. एक मशीन गरियाबन्द निवासी किसी वारसी का होना बताया. दोनों मशीनों ने मंगलवार दोपहर तक 30 -30 घंटे का काम कर लिया है.

पाथर ने कहा कि उसने 1200 रुपये प्रति घण्टे के दर पर मशीन की बात की गई है. दूसरा मशीन वाला ठेकेदार है, जो खुदाई का टेंडर लिया हुआ है. बताया जा रहा है कि कोयबा कांडसर कालीमाटी इलाके में काम खत्म हो चुका है.

वहां कुछ जगहों पर नाम के लिए मजदूरों को लगाया गया था, बाकि 90 फीसदी काम मशीन से की गई है, जबकि बीराबाड़ा में नए तालाब निर्माण में शुरू से मशीन काम कर रही है. मामले में परिक्षेत्र अधिकारी डोमार साहू ने कहा कि 6 लाख लागत का गहरीकरण काम है. टेंडर जारी होने के बाद ही मशीन काम कर रहे हैं.

80 फीसदी कार्य मजदूरों से, 20 फीसदी मशीन करेगा- डोमार साहू

अभ्यारण्य के भीतर पहले कैम्पा मद से काम हो रहा था. अब रेगुलर मद से हो रहा है. दोनों काम के प्रपोजल में 80 फीसदी मजदूर के हाथों में रोजगार देने का जिक्र होता है. तय प्रावधान के मुताबिक 20 फीसदी वह काम, जिसमें गहराई पर जाने से हार्ड मुरम और पत्थर मिले तो उसे पोकलेन से कराने किसी फर्म को अनुबंध दिया जाता है. नियम के इसी बिंदु का फायदा उठा कर स्वीकृत कार्य का ज्यादातर हिस्सा मशीनों से कराया जाता है.

मजदूर तैयार नहीं हुए इसलिए मशीन से काम – उपनिदेशक

उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के उपनिदेशक वरुण जैन ने कहा कि प्रावधान में 80 फीसदी कार्य मजदूरों से 20 फीसदी कार्य मशीन से कराने का तो है, लेकिन उक्त तालाब निर्माण कार्य मे मजदूर काम करने के लिए तैयार नहीं हुए. विधिवत पंचनामा तैयार कर काम मशीन से कराया जा रहा है. सभी काम नियम के तहत हो रहें.

साठंगांठ के चलते मशीन से होता है काम – दीपक मंडावी

इलाके के जनपद सदस्य दीपक मंडावी ने कहा कि विभाग के मैदानी अमले में लगी टीम कई बार अफ़सरों को गुमराह करती है. अभ्यारण्य क्षेत्र में प्रतिबंध के चलते यहां रहने वालों के हाथों में काम का भारी अभाव है. कोई भी मजदूर काम के लिए तैयार नहीं होगा. ऐसा हो ही नहीं सकता. हर साल तालाब निर्माण और छिंद उन्मूलन के नाम पर फर्जी मस्टरोल के जरिये अभ्यारण्य के भीतर लाखों की गड़बड़ी की जाती है.

जनपद सदस्य दीपक मंडावी ने कहा कि मजदूरों के खाते में पैसा आ जाता है, उसे ग्राहक सेवा केंद्र से आहरण करा दिया जाता है. एक एक मजदूरों के नाम पर 1500 से 2000 हजार निकाला जाता है, लेकिन उन्हें 100, 200 ही थमाया जाता है. ऐसे मामलों की जांच की मांग दीपक ने की है.

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