नई दिल्ली। अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के भारत के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडाणी को लेकर दिए बयान को लेकर पूरे भारत में बवाल मचा हुआ है. आस्ट्रेलिया दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री भी इस विवाद से दूर नहीं रह पाए, लेकिन उन्होंने सोरोस को बूढ़ा, अमीर, मतलबी (opinionated) होने के साथ-साथ खतरनाक करार देते हुए इसके पीछे तगड़ा तर्क भी दिया.

आस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में आयोजित Raisina @ Sydney में विदेश मंत्री जयशंकर एक बार फिर पत्रकार के सवालों का जवाब देने के लिए मौजूद थे. इस अवसर पर उनसे जॉर्ज सोरोस के भारत के लोकतंत्र के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडाणी को लेकर दिए गए बयान पर सवाल किया गया. जयशंकर ने बिना कोई लाग-लपेट के जवाब दिया है, उसकी न केवल वर्तमान में चर्चा हो रही है, बल्कि आने वाले दिनों में भी चर्चा होती रहेगी.

जयशंकर ने सोरोस को बूढ़ा, अमीर, विचारों वाला कहने के साथ-साथ खतरनाक भी करार दिया, क्योंकि ऐसे व्यक्ति या संगठन हकीकत में विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए निवेश भी करते हैं. सोरोस ऐसे व्यक्ति हैं, जो सोचते हैं कि चुनाव वही सही है, जब उनके मुताबिक लोग चुनकर आते हैं, लेकिन जब परिणाम अलग आता है, तो लोकतंत्र में खामियों की दुहाई देने लगते हैं. उससे भी बड़ी बात है कि यह सबकुछ खुले समाज, खुली व्यवस्था के नाम पर किया जाता है.

लोकतंत्र पर गंभीर बहस की जरूरत

उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से आज लोकत्रंत पर गंभीर बहस की जरूरत है. मेरे लोकतंत्र की बात कहूं तो आज भारत में पहले से कहीं ज्यादा मतदाता वोट दे रहे हैं, मतदाता स्पष्ट मत दे रहे हैं. चुनाव प्रक्रिया पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर रहा है, चुनाव परिणाम को लेकर कोई न्यायालय में नहीं जा रहे हैं. मेरा भविष्य मतदाताओं के फैसले पर निर्भर करता है. हमारा देश उपनिवेश रह चुका है, इस वजह से हम जानते हैं कि बाहरी हस्ताक्षेप का क्या असर होता है. (सोरोस जैसे व्यक्ति) जब इस तरह का भय पैदा करते हैं, तो समाज की संरंचना पर असर डालता है.

म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में चर्चा

केवल आस्ट्रेलिया में ही नहीं जर्मनी के शहर म्यूनिख में चल रहे म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) में भी जयशंकर के मौजूद नहीं होने के बाद भी उनकी चर्चा हो रही थी. जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अपने संबोधन में जयशंकर के वर्ष 2022 में यूरोप को लेकर दिए बयान का जिक्र किया, जिसमें जयशंकर ने कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकल जाना चाहिए कि उसकी समस्या पूरी दुनिया की समस्या है, लेकिन दुनिया की समस्या उसकी नहीं है.

जयशंकर की बात में है दम

स्कोल्ज़ ने कहा कि जयशंकर की बात में दम है. यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लिए जरूरी है कि उन्हें जकार्ता से लेकर नई दिल्ली, प्रिटोरिया, सेंटियागो दा चिली, ब्राजिलिया और सिंगापुर में विश्वनीय सहयोगी के तौर पर देखा जाए, इसके लिए इन देशों की चिंताओं और दिलचस्पी पर तवज्जों देना होगा.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
दिल्ली की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक