आकाश श्रीवास्तव, नीमच। देश में मध्यप्रदेश का नीमच जिला अफीम उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। जिले में हजारों की संख्या में किसान अफीम की खेती (Afeem Farming) करते हैं। केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग (Central Narcotics Department) किसानों को अफीम की खेती के लिए लाइसेंस (Licence) जारी करता है। इसके बाद किसान नारकोटिक्स विभाग के तय मापदंडों के आधार पर अफीम की खेती (Opium cultivation) करते है। अफीम निकालने डोडो की चिराई शुरू हो गई है।
इन दिनों नीमच में अफीम की खेती यौवन पर है। अफीम के पौधों में अब फूल और फल जिसे डोडा कहा जाता है वह आ गए हैं। वहीं कुछ किसानों ने अफीम के डोडे से चीरा लगाकर अफीम निकालने का कार्य शुरू भी कर दिया है। जबकि बहुत से किसान ऐसे हैं, जिनका फसल अभी तैयार नहीं हुआ है। वह कुछ दिन बाद अफीम का उत्पादन लेना शुरू करेंगे।
डोडा में चिराई का काम पूजा-पाठ के साथ होता है शुरू
क्षेत्र में परंपरा के अनुसार अफीम का उत्पादन लेने की शुरुआत पूजा-पाठ के साथ की जाती हैं। मान्यता अनुसार डोडे को चीरा लगाने से पहले महाकाली की पूजा की जाती हैं। माता से हाथ जोड़कर प्रार्थना की जाती है कि वे अफीम की फसल का उत्पादन अच्छा करें। पूजा कार्यक्रम से पहले मूर्तियां बैठाई जाती है और सिंदूर, नारियल प्रसाद चढ़ाकर पूजा की जाती हैं। फिर अफीम के डोडे में चीरा लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे माता महाकाली प्रसन्न होती हैं।
इस बार मौसम की अनुकूलता को देखते हुए किसानों को उम्मीद है कि अफीम का उत्पादन अच्छा होगा। हालांकि समय-समय पर बदलते मौसम के कारण किसान चिंतित भी रहते हैं । फिलहाल किसान उम्मीद में है कि आने वाले दिनों में अफीम का फसल का अच्छा उत्पादन होगा। वह अपने कार्यों में जुट गए हैं।
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