प्रतीक चौहान. रायपुर. क्या सच में शहर के ह्रदय स्थल स्थित घड़ी चौक के डीकेएस अस्पताल की 5 दुकानों को किराये में लेने में शहर के किसी भी व्यक्ति की दिलचस्पी नहीं है ? ये सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है.
लेकिन कागजों में हकीकत यही है. क्योंकि डीकेएस प्रबंधन ने न जाने कहा यहां कि दुकानों को किराये पर देने का टेंडर निकाला है कि शहर के लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है. यही कारण है कि जब पहली बार दुकानों के लिए टेंडर निकाला गया था तो कोई नहीं आया था, जिसके बाद टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई और अब फिर से गुपचुप तरीके से इसका टेंडर निकाला है, जिसे अब तक केवल 2 लोगों ने ही खरीदा है.
दरअसल लल्लूराम डॉट कॉम के पास ये शिकायत आई कि डीकेएस की दुकानों का टेंडर निकला है लेकिन उन्हें फार्म नहीं दिया जा रहा है. इस शिकायत की पुष्टि करने टीम सीधे डीकेएस अस्पताल पहुंची, जहां अब तक सिर्फ दो फार्म ही खरीदे गए थे. यानी या तो यहां की दुकानों को लेने में किसी की दिलचस्पी नहीं, या इस टेंडर की जानकारी नहीं और या तो फार्म देने से मना कर दिया जा रहा हो. टीम संबंधित शिकायतकर्ता को लेकर सीधे सहअधीक्षक के पास पहुंची, जहां उन्होंने ये जानकारी मांगी कि फार्म कौन नहीं दे रहा है आप इसकी जानकारी दीजिए वे तत्काल इसकी कार्रवाई करेंगे.
सहअधीक्षक ने ये भी कहा कि दुकानों का टेंडर पार्दशी तरीके से किया जा रहा है और जिसे दुकानों के लिए टेंडर चाहिए वो नियमों के मुताबिक खरीद सकता है.
ऑफसेट दर नहीं
अब इस टेंडर में सबसे हैरानी की बात ये है कि इसमें डीकेएस प्रबंधन ने दुकानों की कोई भी मार्केट वैल्यू नहीं निकाली है और न ही कलेक्टर दर का कोई जिक्र है. यही कारण है कि उक्त शिकायतकर्ता ने जब फार्म खरीदा तो अस्पताल प्रबंधन से ये पूछा कि यदि नियमों के मुताबिक टेंडर तीन लोग भरते है और सभी इसकी दर क्रमशः 50 पैसे, 1 रूपए और 2 रूपए भरते है तो क्या नियमों के मुताबिक अधिक दर पर टेंडर भरने वाले को दुकानें अलॉट की जाएगी ? तो प्रबंधन का कहना था कि इसका अंतिम फैसला अस्पताल प्रबंधन की बॉडी करेगी. यानी स्पष्ट है कि यहां गुपचुप तरीके से एक बड़े खेल की तैयारी है. क्योंकि इससे पहले भी यहां प्रबंधन ने 5-5 हजार रूपए में दुकानों का अलॉटमेंट किया गया था और मीडिया में इसकी खबरें प्रकाशित होने के बाद इसको निरस्त किया गया था लेकिन 2019 के बाद से आज तक इसका अलॉटमेंट नहीं किया गया है.