रायपुर. 21 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए. इसी क्रम में पं. रविशंकर शुक्ल विवि में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज हुआ.

बता दें कि, 21, 22 और 23 फरवरी तक यह संगोष्ठी छत्तीसगढ़ी आयोजित की जाएगी. भाषा, संस्कृति और पत्रकारिता पर केंद्रित है. तीन दिनों तक विभिन्न सत्रों में मातृभाषाओं पर चर्चा होगी. संगोष्ठी का शुभारंभ कुलपति प्रो. केशरी लाल वर्मा की अध्यक्षता में हुआ. उद्घाटन सत्र में पद्मश्री अनुज शर्मा, पद्मश्री अनूप रंजन पाण्डेय, प्रो. रामनारायण पटेल, पुरात्तववेत्ता राहुल सिंह, संस्कृति विशेषज्ञ अशोक तिवारी बड़ी संख्या में साहित्यकार और छात्र-छात्राएं शामिल हुए.

सम्मान बढ़ा है, अब झिझक या डर नहीं- प्रो. केशरी लाल वर्मा

कुलपति प्रो. केशरी लाल वर्मा ने कहा कि, कुछ साल पहले तक छत्तीसगढ़ के लोगों में ही अपनी भाषा को लेकर एक झिझक रहती थी. लेकिन बीते चंद सालों में माहौल पूरी तरह से बदल गया है. मातृभाषाओं का लोग अब न सिर्फ सम्मान करने लगे हैं, बल्कि गौरव के साथ कहीं बोलने में झिझक या डर महसूस नहीं करते. विवि में एमए छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई से एक शैक्षेणिक वातावरण पूरे प्रदेश में बना है. बुनियादी शिक्षा में अब मातृभाषाओं को बढ़ावा तेजी से मिल रहा है.

मातृभाषाओं को मिल रहा है बढ़ावा- डॉ. शैल शर्मा
आयोजन को लेकर साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष डॉ. शैल शर्मा ने कहा कि तीन दिनों तक आयोजित संगोष्ठी में विभिन्न सत्रों में छत्तीसगढ़ी और राज्य की मातृभाषाओं पर चर्चा होगी. भाषा, संस्कृति और पत्रकारिता को हमने समाहित किया है. कुलपित प्रो. केशरी लाल वर्मा के नेतृत्व में विवि में मातृभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर निरंतर काम हो रहा है. संगोष्ठी, कार्यशाला का आयोजन लगातार होते रहता है.

पढ़ाई-लिखाई हो पहली प्राथमिकता- लता राठौर

वहीं वृंदावन हॉल में छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की ओर से विचार मंथन का आयोजन किया गया. इस मौके पर छत्तीसगढ़ी भाषा के क्षेत्र में काम करने वाले सेनानियों का सम्मान भी किया गया. महिला क्रांति सेना की अध्यक्ष लता राठौर का कहना है कि, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हमने सबने फिर से यह संकल्प दोहाराया है कि जब तक प्राथमिक शिक्षा में छत्तीसगढ़ी पूरी तरह से पढ़ाई-लिखाई का माध्यम नहीं बन जाता तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. पहले की तुलना अब काफी जागृति आई है. समाज के साथ सरकार को जगाने इसी तरह से हम सब सेवा करते रहेंगे. हमारी प्राथमिकता मातृभाषा मे पढ़ाई-लिखाई और राजकाज राजभाषा में हो इसे लेकर है. इस मांग को लेकर हमारी लड़ाई सड़क पर चल रही है और न्यायालय में भी.

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