रायपुर. छत्तीसगढ़ में पीएम आवास को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार के भेदभाव पूर्ण रवैया और छत्तीसगढ़ की उपेक्षा पर पर्दा डालने के लिए प्रदर्शन की राजनीतिक नौटंकी कर रहे हैं भाजपाई. सर्वविदित है कि विधानसभा के विगत मानसून सत्र के दौरान 20 जुलाई 2022 को भारसाधक मंत्री के द्वारा छत्तीसगढ़ में पीएम आवास के संदर्भ में विगत 4 वर्षों के लिखित आंकड़े प्रस्तुत किए गए थे.
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के सवाल के जवाब में वित्तीय वर्ष 2019-20, 20-21, 21-22 और 2022-23 में योजना के तहत आवासों की संदर्भ में लिखित जानकारी विधानसभा में दी गई थी. प्रधानमंत्री आवास के संदर्भ में दिए गए जवाब में यह बताया गया था कि वर्ष 2019-20 के वित्तीय वर्ष में पीएमएवाई ग्रामीण के तहत 151072 और वर्ष 2020-21 में 157815 घर स्वीकृत किए गए थे. वर्ष 2019-20 के लक्ष्य में से 72103 मकान पूरे हो चुके हैं जबकि 78969 अधूरे हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत ही वर्ष 2019 से 2022 के 3 वित्तीय वर्षों के बीच शहरी क्षेत्रों के लिए कुल 101081 आवाज को मंजूरी दी गई थी जिनमें से 19594 आवास पूरे हो चुके थे. जबकि 43304 आवास का निर्माण प्रगतिरत है. हकिकत यह है कि भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए स्वीकृत पीएम आवास के 98.34 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया है, क्रियान्वयन और गुणवत्ता को लेकर राष्ट्रिय पुरस्कार मिले हैं जो केंद्रीय विभाग के साइट पर दर्ज़ हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पिछले 2 वित्तीय वर्षों में वर्ष 2021-22 और 2022-23 में केंद्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए एक भी मकान स्वीकृत नहीं किया है. यह भाजपा के 9 लोकसभा सांसदों और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह के निकम्मेपन का प्रमाण.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यहां की जनता ने 9 लोकसभा सांसद भाजपा से चुनकर भेजे हैं, जो छत्तीसगढ़ की उपेक्षा पर लगातार मौन हैं. भाजपा नेता बताएं कि आखिर छत्तीसगढ़िया जनता से किस बात का बदला ले रही है मोदी सरकार? केंद की मोदी सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के हितग्राहियों की उपेक्षा और भेदभाव पूर्ण व्यवहार के लिए माफी मांगने के बजाय छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता प्रदर्शन कर रहे हैं. विगत 4 वर्षों में स्वीकृत कुल आवास की संख्या ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर कुल 409968 है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी के अलग-अलग नेता अलग-अलग समय में अलग-अलग तथ्यहीन आंकड़े जारी कर बेबुनियाद आरोप लगाते हैं. कोई भाजपाई 6 लाख, कोई 9 लाख़, कोई 12 लाख़ तो कोई 16 लाख के आंकड़े बता रहे हैं. असलियत यह है कि हजारों करोड़ रुपये छत्तीसगढ़ के हक और अधिकार की राशि रोके जाने के बावजूद राज्यांश का बहाना बनाकर स्वीकृत आवास की राशि भी वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ही वापस ले ली गई.
यह भी सर्वविदित है कि वर्ष 2019-20 मे राज्यांश के लिए 762 करोड़ की राशि पंजाब नेशनल बैंक ने ऋण के रूप में मंजूरी दी थी लेकिन मोदी सरकार के इशारे पर आरबीआई ने आपत्ति कर रुकवाई। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2021-22 में केन्द्र सरकार द्वारा 781999 हितग्राहियों को आवास आबंटित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे भी मोदी सरकार ने वापस ले लिया है. केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का रवैया छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया हितों के खिलाफ है. अपनी नाकामी पर पर्दा डालने भारतीय जनता पार्टी के नेता पीएम आवास को लेकर प्रदर्शन की राजनैतिक नौटंकी कर रहे.
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