रायपुर। डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी एक युवक का कत्ल और संदेहास्पद परिस्थितियों में उसकी प्रेमिका की मौत की गुत्थी को सुलझाने में पुलिस को कोई भी कामयाबी नहीं मिली है. राजधानी के छेरीखेड़ी में हुआ यह हत्याकांड एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री बन गई है जिसे पुलिस भी याद करना नहीं चाहती. इस मर्डर मिस्ट्री में पुलिस के दामन पर भी कई छींटे पड़े हैं.

दरअसल अक्टूबर 2016 में युवराज चौहान नाम का एक युवक अपनी नाबालिग प्रेमिका को लेकर रात 8 बजे के आस-पास छेरीखेड़ी पहुंचा जहां वह सड़क से आधा किलोमीटर अंदर अपनी प्रेमिका के साथ बैठा हुआ था. उसी दौरान एक युवक पीछे से पहुंचा और युवराज के पीठ पर अपनी पिस्टल से फायर कर दिया. मौके पर ही युवराज की मौत हो गई वहीं उसकी प्रेमिका ने अपने साथ गन पाइंट पर रेप किए जाने का आरोप लगाया.

घटना के बाद बदहवाश हालत में युवती सड़क की ओर दौड़ी और वहां से गुजरने वाले लोगों से मदद मांगी. किशोरी की गुहार पर एक व्यक्ति ने पुलिस को इसकी सूचना दी. गोली मारकर हत्या किए जाने और गनपाइंट पर एक किशोरी से बलात्कार की खबर लगते ही  तत्कालीन एसपी संजीव शुक्ला सहित सभी आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए. किशोरी को थाने ले जाया गया जहां उसके बयान लिए गए. वहीं घटना के तीन से चार दिन के बाद पुलिस द्वारा मीडिया को जानकारी दी गई कि किशोरी  रेप की घटना से इंकार किया है.

टार्चर के आरोप

घटना के सप्ताह भर बाद चश्मदीद गवाह और पीड़िता अपने ही घर में फांसी के फंदे पर झूलती हुई मिली. परिजनों ने किशोरी की मौत के पीछे पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया था. परिजनों के अनुसार पुलिस बयान के नाम पर आए दिन उसे थाना लेकर जाती थी और उसे इतना ज्यादा टार्चर किया जाता था कि उसने आत्महत्या कर ली. उस दौरान परिजनों ने मीडिया को बताया कि पुलिस किशोरी को उस मामले में फंसाने की योजना बना रही थी जिसकी वजह से ही उसने मौत को गले लगा लिया.

सवालों के घेरे में पुलिस 

उधर पुलिस ने लाश का पंचनामा कर उसे पीएम के लिए भेज दिया लेकिन पुलिस के अनुसार पीएम के पहले डाक्टरों को किशोरी के पास से एक सुसाइडल नोट मिला था जिसमें उसने मंदिर हसौद टीआई को भैया कहकर संबोधित किया था. हालांकि परिजनों ने सुसाइड नोट मिलने से इंकार किया था. इस पूरे मामले ने पुलिस की भूमिका पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया था. सबसे बड़ी बात यह है कि जब कोई आत्महत्या जैसा कदम उठाता है और सुसाइडल नोट लिखता है तो वह अपने उन मनोभावों को उसमें लिखता है जिसकी वजह से उसने आत्मघाती कदम उठाया. दूसरा सुसाइडल नोट इसलिए लिखा जाता है कि मृतक अपने परिजनों से वह बात कहना चाहता है जो कि वह उनसे कह नहीं पाता जिसमें कि आत्मग्लानी हो या फिर उसके द्वारा उठाए गए कदम के पीछे जिम्मदार वजह या व्यक्ति का होना. लेकिन यहां सुसाइडल नोट न परिजनों को मिलता है और न ही पुलिस को. मिलता है तो पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों को उसके इनर गारमेंट में.