गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही। प्रदेश की वर्तमान राज्य सरकार धान खरीदी के नित नए रिकॉर्ड बना रही है. धान का कटोरा कहे जाने वाले प्रदेश में किसानों के हित के लिए सारी व्यवस्थाओं को दुरूस्त कर उन्हें तत्काल धान खरीदी कर भुगतान नियत समय मे कर दिया जा रहा है, लेकिन जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में ऐसे 10 से भी ज्यादा किसान हैं, जिनका लगभग 15 लाख से भी अधिक की राशि धान बेचने के बाद भी बकाया है.
प्रकरण में एक किसान के खाते में होल्ड के कारण भुगतान रुका हुआ है, लेकिन 9 किसान ऐसे हैं, जिनको अब तक भुगतान नहीं मिला. किसानों का आरोप है कि वह अब परेशान हो चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. कुछ किसानों का कहना है कि धान खरीदी का भुगतान नहीं मिलने के कारण वे खेती नहीं कर पा रहे है, तो कुछ को अपनी जमीन भी बेचनी पड़ रही है. कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण आर्थिक बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हैं.
जिले के गौरेला ब्लॉक के किसान अर्जुन सिंह ठाकुर निवासी सारबहरा, दिनेश पनिका किसान पिता दशरथ पनिका का इस दौरान देहांत हो गया. भद्दु सिंह गोंड निवासी देवरगाँव,भरत सिंह निवासी देवरगांव, मंगल सिंह निवासी देवरगांव, दयाराम सिंह निवासी देवरगांव, सुशील बुद्ध सिंह निवासी देवरगांव, रामू बचन सिंह, हीरालाल निवासी जोगिसार, शांति बाई देवरगांव के इन किसानों ने साल 2020-21 में खोडरी धान उपार्जन केंद्र में अपनी अपनी धान को नियमानुसार बेचा था.
बता दें कि इसी दौरान शिकायत हुई कि सेवा सहकारी समिति खोडरी उपार्जन केंद्र के कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा 28 लाख रुपये की फर्जी धान खरीदी को प्रविष्ट कर दिया गया है, जिसके बाद कुल 20 किसानों के धान के भुगतान पर रोक लगा दी गई थी. जांच के बाद सेवा समिति खोडरी के प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा भी गई थी.
इस मामले में 20 किसानों का भुगतान रोक दिया गया था. धीरे धीरे जांच के समय 10 किसानों का भुगतान पहले किया जा चुका है, लेकिन शेष बचे 10 किसानों का भुगतान अभी तक नहीं किया जा सका है. किसानों ने अपनी बदहाली पर आंसू बहाते हुए कहा कि किसी और की गलती का खामियाजा हम किसान क्यों भुगतें, हमारा क्या कसूर है, हर बार हमें जांच के बाद भुगतान का आश्वासन दिया.
भेंट मुलाकात कार्यक्रम में हमने मौखिक तौर मुख्यमंत्री को भी जानकारी दी थी. साथ ही सहकारिता मंत्री और समय समय पर जिला प्रशासन के समक्ष भी अपनी इस समस्या को रख चुके हैं, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है.
75 वर्षीय बुजुर्ग किसान ने बताया कि बैंक का मेरे ऊपर 4 लाख रुपये का कर्जा है और मेरे खाते में होल्ड लगा हुआ है. भुगतान न होने और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हम खेती भी नहीं कर पा रहे हैं. हम एक बार फिर जिला प्रशासन के सामने अपनी मांगों को रखेंगे कि भुगतान कराए अन्यथा किसी प्रदर्शन को विवश होंगे.
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