Loan against Adani Group: बाजार पूंजीकरण में भारी उतार-चढ़ाव का सामना कर रही अडानी समूह की कंपनियों को साल 2024 तक करीब 2 अरब डॉलर (यानी करीब 16,342 करोड़ रुपये) के विदेशी मुद्रा बांड चुकाने होंगे. समूह ने निवेशकों के सामने एक प्रस्तुतिकरण में यह जानकारी दी है.
अदानी समूह ने जुलाई 2015 से 2022 तक 10 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के विदेशी मुद्रा बांड उधार लिए थे. इनमें से 1.15 अरब डॉलर मूल्य के बांड 2020 और 2022 के दौरान परिपक्व हुए.
तीन बॉन्ड की मैच्योरिटी अगले साल पूरी
हालांकि, समूह का कोई भी विदेशी मुद्रा बांड वर्ष 2023 में परिपक्व नहीं हो रहा है. लेकिन उसके तीन बांडों की परिपक्वता अवधि अगले साल पूरी हो रही है. इनमें से अदानी पोर्ट्स और एसईजेड द्वारा 650 मिलियन डॉलर के बांड जारी किए गए हैं. जबकि अडानी ग्रीन एनर्जी के 750 मिलियन डॉलर और 500 मिलियन डॉलर के दो बॉन्ड शामिल हैं.
अडाणी समूह के अधिकारियों ने निवेशकों को आश्वस्त करने की कोशिश की कि इन बांडों का परिपक्वता भुगतान पूरा किया जाएगा. इसके लिए प्राइवेट अलॉटमेंट नोट ऑफर करने के अलावा कंपनियों के ऑपरेशंस से मिलने वाले कैश का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
पिछले महीने निवेशकों को दी गई जानकारी के मुताबिक, अडानी ग्रुप पर साल 2019 में कुल कर्ज का बोझ 1.11 लाख करोड़ रुपए था. लेकिन अब यह 2.21 लाख करोड़ रुपए हो गया है. कैश मिलाने के बाद ग्रुप पर कुल कर्ज 1.89 लाख करोड़ रुपए है.
अडानी के शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव
इससे पहले 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट सामने आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. रिपोर्ट के महीने में इसके बाजार पूंजीकरण में 135 अरब डॉलर की गिरावट आई थी. लेकिन पिछले हफ्ते में कुछ सुधार देखने को मिला है. आपको बता दें कि अदानी समूह की दस लिस्टेड कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण (एमकैप) पिछले सप्ताह के दौरान 1.73 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है.
अडानी ग्रुप के शेयर सुर्खियों में रहे हैं. पिछले हफ्ते अडानी ग्रुप द्वारा तीन अरब डॉलर का कर्ज लेने की खबरें आई थीं. दरअसल, अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी के नेतृत्व वाले बिजनेस ग्रुप पर शेयर बाजार में हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया था.