रायपुर। मप्र में शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद अब छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मियों को भी शीघ्र संविलियन होने का बेसब्री से इंतजार है। मप्र के संविलियन मॉडल का अध्ययन करने के बाद छग के प्रमुख शिक्षाकर्मी नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रदेश संचालक वीरेंद्र दुबे ने कहा कि छग की स्थिति मप्र से बेहतर है। छ.ग. में संविलियन के लिए मप्र से बेहतर मॉडल अपनाया जा सकता है। जिसमें मप्र की कमियों व आपत्तियों को भी दूर किया जा सकता है। छ.ग. में बाधारहित व सर्वस्वीकार्य संविलियन का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। जिसमें पूर्व से कार्यरत नियमित शिक्षकों के हितों व सम्मान को सुरक्षित रखते हुए समस्त शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग में समान पदनाम, सेवा शर्तें, सेवा श्रेणी, स्तर वेतनमान व सुविधाओं के साथ संविलियन किया जा सकता है। सातवां वेतनमान का निर्धारण वरिष्ठता व क्रमोन्नति के आधार पर होना चाहिए।
शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय संवर्ग के पदोन्नति से वंचित कर्मचारियों का वेतन निर्धारण क्रमोन्नति के आधार पर करते हुए इसका भी समाधान किया जा सकता है। शिक्षा विभाग में वर्षों से रिक्त संस्था प्रमुख पदों पर भी पदोन्नति का प्रावधान सुनिश्चित कर पदोन्नति किया जा सकता है बल्कि शिक्षा व्यवस्था में कसावट व गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके लिए शिक्षा विभाग, शिक्षक पंचायत संवर्ग व सरकार सभी को परस्पर विश्वास व परिपक्वता के साथ सकारात्मक रूप से आगे बढ़ना होगा। ताकि लंबा व काला अध्याय समाप्त होगा और हम सभी एक साथ न्यायसंगत तरीके से आगे बढ़ें।
प्रदेश उपसंचालक धर्मेश शर्मा व चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश से 1994-95 से शिक्षा व्यवस्था में लागू ” शिक्षाकर्मी ” की दोहरी समानांतर, असमान व असम्मानजनक व्यवस्था को समाप्त कर शिक्षाकर्मियों की समस्याओं के ” समग्र व स्थायी समाधान ” का एकमात्र व सर्वोत्तम विकल्प समस्त शिक्षाकर्मियों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन ही है। मप्र ने इस दिशा में एक बड़ा व महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जिसमें भले ही कुछ कमियां व आपत्तियां सामने आ रही है, किंतु यह एक बड़ा नीतिगत निर्णय है।
प्रदेश प्रवक्ता गजराज सिंह राजपूत ने कहा कि छग सरकार मप्र से बेहतर मॉडल अपनाते हुए प्रदेश के समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन का मार्ग अविलंब प्रशस्त करे। छग का मॉडल ऐसा होना चाहिए जो अन्य राज्य के लिए अनुकरणीय हो। शिक्षा व्यवस्था से कर्मी कल्चर पूर्णतः समाप्त होना चाहिए। सरकार को शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर उनका सम्मान करना चाहिए। यह समाज व राष्ट्र निर्माण की दिशा में बेहतर कदम होगा।