सभी पेरेंट्स यह चाहते हैं कि उनके बच्चों की अच्छी परवरिश हो, लेकिन इसमें सबसे अहम योगदान पेरेंट्स का ही होता हैं. परवरिश का मतलब यह नहीं हैं कि बच्चों को अच्छा खाना-पीना और रहन-सहन दिया जाए. बल्कि उनमें वे सभी नैतिक गुण भी विकसित किए जाए, जिससे बच्चे नेक और अच्छे इंसान बने. बदलते जमाने के साथ मौजूदा परिवेश में पेरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश बहुत ही कठिन टास्क बन चुका है. ऐसे में आपको अच्छे परवरिश के लिए कुछ नियम तय करने होंगे. जिनका पालना कर बच्चों का भविष्य संवारा जा सकता हैं. बच्चे जब बड़े होने लगता है तभी से उनपर नियमों में रहने की आदत डालनी चाहिए. आज यहां हम आपको परवरिश के उन्हीं नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बेहद जरूरी हैं.

पेरेंट्स बच्चों को सच्चा प्यार दें, हर मांगी हुई चीज नहीं

लोग गलती से यह समझते हैं कि अपने बच्चों को प्यार करने का मतलब है उनकी हर मांग पूरी करना. अगर आप उनकी मांगी हुई हर चीज उनको देते हैं तो बड़ी बेवकूफी करते हैं. अगर आप अपने बच्चे से प्यार करते हैं तो उसे वही दें जो जरूरी है.

शुरू से ही डिसिप्लिन सिखाएं

बच्चा जब बड़ा होने लगता है तब ही से उसे नियम में रहने की आदत डालें. ‘अभी छोटा है बाद में सीख जाएगा’ यह रवैया खराब है, उन्हें शुरू से अनुशासित बनाएं. कुछ पेरेंट्स बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर निर्देश देने लगते हैं और उनके ना समझने पर डांटने लगते हैं, कुछ माता-पिता उन्हे मारते भी हैं। यह तरीका भी गलत है. वे अभी छोटे हैं, आपका यह तरीका उन्हें जिद्दी और विद्रोही बना सकता है.

बच्चों के लिए सेट करें बाउंड्री

बच्चों को यह जानना जरूरी है कि उनके लिए क्या गलत है और क्या सही. इससे कहीं पर भी आपको असहजता महसूस नहीं होगी. जब बच्चों की व्यवहार की बात आती है तो क्या एक्सेप्ट किया जाता सकता है और क्या नहीं यह उनके लिए जरूरी है. सुनिश्चित करें कि आप अपनी उम्मीदों के लिए स्पष्ट रूप से बच्चों को बताएं और फिर ब्राउंड्री सेट करें. आप बाउंड्री सेट करेंगे तो बच्चों को इससे सही गलत में अंतर समझ आएगा.

पेरेंट्स बच्चों को जिम्मेदारी के बारे में बताएं

ऐसा कहा जाता है कि जो बच्चों को बचपन में सिखया जाता है उन्हें वह हमेशा याद रहता है, तो इसलिए आप भी अपने बच्चों को वह सब अच्छी बाते बताएं और समझाएं जो उन्हें पूरी लाइफ याद रहे. बच्चों का काॅफिडेंट बढ़ाने के लिए उन्हें छोटी छोटी चीजे खुद ही करने दें. इससे उन्हें अपनी गलतियों का एहसास होगा। साथ ही आप बच्चों को उन्हें फैमिली लाइफ के साथ सोशल लाइफ में भी थोड़ा शामिल करें.

उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें

अब वह समय नहीं रहा जब माता-पिता ने जो कह दिया वही सही है. अब समय बदल गया है,बच्चे मुखर हो गए हैं. उनका अपना नजरिया है. माता-पिता को यह करना है कि बच्चों के साथ बॉस या हिटलर की तरह नहीं बल्कि दोस्त बनकर रहें. आपका यह तरीका बच्चों को आपके करीब लाएगा. वे आपसे खुलकर बात कर पाएगें.


किसी से अपने बच्चे की तुलना करने से बचें

बच्चों को ज्यादा से ज्यादा उत्साहित करते रहना चाहिए. बच्चों की किसी भी दूसरे बच्चे से तुलना करना पैरेंटिंग के नियमों के खिलाफ है. बच्चों के बीच तुलना करना आपके बच्चे के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है. अगर आप अपने बच्चों से कहते हैं कि तुम बेहतर नहीं हो, तुमसे अच्छा तो वो है, तुमसे अच्छा तो वह कर लेता है, इससे आप बच्चे को हतोत्साहित करते हैं. इससे बच्चे काफी निराश होंगे और उनका किसी भी चीज में मन नहीं लगेगा.

पेरेंट्स बच्चों पर किसी तरह का दबाव न बनाएं

बच्चों को वह काम करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, जो उन्हें पसंद नहीं है. किसी भी चीज के लिए बच्चों पर दवाब बनाना गलत होगा. किसी भी काम के लिए बच्चों पर दवाब न बनाएं, बल्कि उन्हें विकल्प दें और उन्हें खुद चयन करने का मौका भी दें. बच्चों की पसंद और फैसलों का सम्मान किया जाना चाहिए और माता-पिता को अपनी पसंद उस पर नहीं थोपनी चाहिए.

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