कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। “पति पत्नी और वो” के मामले में सुलह हो पाना अक्सर बहुत मुश्किल काम होता है, लेकिन ऐसे ही एक मामले को ग्वालियर (Gwalior) में फैमिली कोर्ट (family court) की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही एक अनोखे समझौते से सुलझा लिया गया। 6 महीने में 5 बार की काउंसलिंग के बाद काउंसलर एडवोकेट ने कुछ ऐसा समझौता करा दिया जिसकी अब सब जगह चर्चा हो रही है।
ग्वालियर के रहने वाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर (software Engineer) की शादी साल 2018 में हुई थी। वह हरियाणा के गुरुग्राम (Gurugram, Haryana) में एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करता है, दो साल तक पति-पत्नी साथ रहे, एक बच्चा भी हो गया, लेकिन साल 2020 में लॉकडाउन (lockdown) के दौरान पति अपनी पत्नी को उसके मायके ग्वालियर छोड़ गया था, फिर उसे लेने नहीं आया।
वहीं जब पत्नी गुरुग्राम आने की कहती तो टालमटोल करता रहता था, इसी दौरान पत्नी के परिजनों ने जब वहां पहुंचकर पता किया तो मालूम हुआ कि उसने शादीशुदा होते हुए भी लिवइन में रहने वाली लकड़ी से दूसरा ब्याह रचा लिया है। उसकी एक बेटी भी है, पति की दूसरी शादी और बच्ची होने की बात पता लगने के बाद ग्वालियर की रहने वाले 28 साल की विवाहिता फैमिली कोर्ट पहुंच गई। जहां अपने और बेटे के भरण पोषण के लिए केस दायर करने की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन न्यायालय में काउंसलर (family counselor) एडवोकेट हरीश दीवान से उसकी मुलाकात हुई।
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उन्होंने 6 महीने में 5 बार काउंसलिंग (counseling) की और विवाहिता को समझाया कि उसके और बेटे के भरण पोषण के लिए 7 से 8 हजार रुपये तक ही मिल पाएंगे। इससे कोई फायदा नहीं होगा। वहीं दूसरी ओर काउंसलर ने विवाहिता के पति से फोन पर बात कर उसे भी समझाया की इस मामले में कोर्ट में केस जाने से उसे बहुत सारे नुकसान हो सकते हैं।
पति को बताया गया कि पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी पत्नी को कानूनी दर्जा नहीं मिल सकता है, ऐसी स्थिति में पहली पत्नी दहेज प्रताड़ना सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कराने का कानूनन हक रखती है। पहली पत्नी कुटुंब न्यायालय में भी केस दायर कर सकती है। पुलिस और न्यायालय में लगातार चक्कर काटने पड़ेंगे, FIR दर्ज होने के बाद नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है, कोर्ट प्रक्रिया का लंबे समय तक सामना करने से परेशान भी होना पड़ेगा। इसलिए वह आउट ऑफ कोर्ट बातचीत कर समझौता कर ले। इससे वह भी खुश रहेगा और उसकी पत्नियां भी खुश रहेंगी।
बहरहाल दोनों पक्षों के बीच बातचीत कर समझौता कराना तय हुआ, पति और दोनों पत्नियां भी इसके लिए तैयार हो गई। फाइनली न्यायालय (Court) में केस पहुंचने से पहले ही दोनों के बीच सुलह करा दी गई। जिसके मुताबिक पति हफ्ते में तीन-तीन दिन दोनों के साथ रहेगा। रविवार को पति की छुट्टी रहेगी। वह अपनी इच्छा के अनुसार कहीं भी रुक सकेगा। छुट्टी के दिन पत्नियों का पति पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। वह दोनों पत्नियों के साथ रह सके उसके लिए दोनों को गुरुग्राम में एक-एक फ्लैट दे दिया है। पति ने दोनों पत्नियों की जिम्मेदारी निभाने का वादा किया है। ऐसे में न्यायालय से पहले ही केस में समझौता हो गया है।
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