पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में सहायक आयुक्त के कारनामे की गूंज अब प्रदेशभर में है. कांग्रेस MLA अमितेष शुक्ल ने फर्जीवाड़े की कुंडली को खोलकर रख दी है. विधानसभा में करप्शन कुंडली खुलने के बाद आनन-फानन में AC को सस्पेंड कर दिया गया. बताया जा रहा है कि सहायक आयुक्त के एक दो नहीं कई कारनामे हैं, जिसमें अब अनियमित कर्मचारियों को नियमित के बाद भृत्य भर्ती में भी घपले की खबर है. जिले में भर्ती घोटाले की चर्चा जोरो पर है.
दरअसल, दैनिक वेतन भोगी को नियम विरुद्ध नियमित करने के आरोप में सदन पर सहायक आयुक्त बद्रीधर सुखदेवे पर निलंबन की गाज गिरने के बाद एक बार फिर विधायक अमितेष शुक्ल ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. प्रथम पंचायत मंत्री रह चुके अमितेष शुक्ल को प्रसाशनिक ज्ञान राजनीतिक विरासत में मिला हुआ है. ऐसे में जिले में होने वाली गड़बड़ियों पर उनकी पैनी नजर रहती है.
इन विभागों पर लगे 31 सवाल
अमितेष शुक्ल अब तक 100 से भी ज्यादा तारांकित अतारांकित सवाल सदन पर उठा चुके हैं. किसानों के योजनाओ में गड़बड़ी करने वाले तात्कालीन कृषि उपसंचालक फागु राम नागेश अमितेष के सवाल पर ही निलंबित हुए थे. चालू सत्र में अमितेष शुक्ल ने 31 सवाल पूछे हैं, जिसमें ट्राइबल के अलावा पीएचई, वन, खाद्य, परिवहन के कारनामों पर सवाल प्रमुख हैं.
छलावा और करप्शन पर कोई समझौता नहीं- अमितेष शुक्ल
मामले में अमितेष शुक्ल ने कहा कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन कराना मेरा मकसद है. जनता के साथ छलावा और करप्शन हुआ तो उससे समझौता नहीं किया जाएगा. विधायक मद से कार्य के एवज में लिए जा रहे कमीशन की परिपाटी भी अपने क्षेत्र में खत्म किया है. अमितेष ने कहा कि राजीव जी और पिता श्यामा मेरे आदर्श हैं. इन्हीं के दिखाए रास्तों पर काम करते आ रहा हूं.
भाजपा विधायक बोले- सवाल रिजेक्ट कर दिये जाते हैं
बिन्द्रानवागढ़ सीट से डमरूधर पुजारी दूसरी बार विधायक हैं. सत्ता पक्ष के विधायक की तुलना में काफी कम सवाल सदन में उठा सके है. मिली जानकारी के मुताबिक अब तक 10 से 15 सवाल ही उनके अब तक के कार्यकाल में पूछे गए हैं.
सहायक आयुक्त पर कार्रवाई जनहित में- विधायक पुजारी
विधायक पुजारी ने कहा कि अब तक 40 से 50 सवाल मैंने लगाए पर ज्यादातर किसी न किसी कारण से रिजेक्ट कर दिए जाते हैं. सहायक आयुक्त पर हुई कार्रवाई को पुजारी ने भी जनहित में बताया. पुजारी ने कहा कि भृत्य भर्ती में भी आदिवासी विकास विभाग में लाखों का लेन देन हुआ है. इसकी जांच होनी चाहिए.
भृत्य भर्ती की चर्चा भी जोरो पर
बगैर किसी रिक्त पद व विभागीय अनुमति के सहायक आयुक्त सुखदेवे ने नवम्बर दिसम्बर में 15 से ज्यादा भृत्य की नियुक्ति आश्रम व छात्रावास में किया है. जगह फुल होने के कारण उन्हें अपने दफ्तर के अलावा मैनपुर जनपद में भी सलग्न दिखाया गया. इन्हें दैनिक वेतन भोगी के दर पर नियुक्ति किया गया था, लेकिन विभागीय मंजूरी नहीं थी. वैसे में अब तक इन्हें वेतन नहीं मिला है.
फ्री में काम कर रहे लोग
छले जाने की भनक लगी तो कुछ ने काम पर जाना बन्द कर दिया है, जबकि कुछ अब भी अपनी मेहनताना मिलने की उम्मीद बांधे निशुल्क सेवा दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि इन नियुक्ति में लेन देन का बड़ा खेल हुआ है, जिसमें अब रिलीव हो चुके बड़े बाबू की भूमिका अहम बताई जा रही है.
अफसर की बिगड़ गई तबीयत, बाबू की छुट्टी –
बता दें कि मामले के जवाब के लिए जब सवाल विभाग तक पहुंचा तो आयुक्त की तबियत बिगड़ गई. विभाग में बड़ा खेल करने वाले प्रमुख लिपिक को भी रिलीव कर दिया गया, जबकि विभाग के लिए लक्ष्मी पुत्र माने जाने वाले इस लिपिक का तबादला 6 माह पहले छुरा जनपद में हो चुका था. पुराने और गुना भाग में अनुभवी माने जाने वाले लिपिक का पेंच जब विधानसभा में सवाल के रूप में जा फंसा तो सहायक आयुक्त ने लिपिक को होली के दो दिन पहले रिलीव कर दिया.
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