नीरज काकोटिया, बालाघाट। देश में कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर विपरीत परिस्थितियों की वजह से जन सुविधाओं का अभाव अक्सर बना रहता है। ऐसे में इन दुर्गम जगहों पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद लचर रहती है। कुछ ऐसे ही हालात मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट जिले (Balaghat District) के हैं। जहां आसपास के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच आम आदमी तक सुलभ नहीं है। लेकिन इन क्षेत्रों में ग्रामीणों की सेहत को दुरुस्त रखने का बीड़ा CRPF ने उठाया है और उन लोगों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिये एक नई और अनूठी पहल की है। CRPF ने आदिवासी ग्रामीणों की मदद के लिए बाइक एम्बुलेंस बनाई है।
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नक्सल प्रभावित इलाके की कानून-व्यवस्था को बनाये रखने के साथ सीआरपीएफ सामाजिक सरोकारों का भी बखूबी निर्वाह कर रही है। दुर्गम घने जंगलों के बीच बसे इन इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का तो अभाव अक्सर बना रहता ही है। साथ ही इन जंगलों के गांवों में रहने वाले लोग बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से भी महरुम रहते हैं। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखने की जिम्मेदारी रुपझर थाना के अंतर्गत आने वाली सीआरपीएफ की 123वीं बटालियन ने उठाई है।
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वर्दी के साथ हमदर्दी दिखाते हुए सीआरपीएफ की 123वीं बटालियन ने जंगलों मे बसे गरीब आदिवासियों के लिये एक अनूठी सेवा शुरू की है। इन दुर्गम इलाकों के लिये बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जो बाइक के जरिए मरीज को नजदीक के अस्पताल पहुंचाएगी। इस सेवा का मकसद समय पर नक्सल प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों को इलाज के लिये अस्पताल पहुंचाना है। सीआरपीएफ की इस बाइक एंबुलेंस सेवा का लाभ आसपास के करीब बीस गांवों के हजारों लोगों को मिलेगा। सीआरपीएफ को ये एंबुलेंस नक्सल प्रभावित इलाकों में गश्त के लिये दी जाती है, जिसके जरिये अब सीआरपीएफ ग्रामीणों को अस्पताल पहुंचाएगी।
इस मोटरसाइकिल में एंबुलेंस की तरह ही लाइट और सायरन लगाया गया है साथ ही इसमें तत्काल उपचार के लिए कुछ दवाएं,पट्टी मलम जैसी चीज एक बॉक्स में रखी गई है। इस गाड़ी में लगी सीट में बकायदा सीट बेल्ट लगाया गया है। जिससे की मरीज आसानी से बैठ सके उसे किसी तरह की परेशानी न हो। अगर मरीज ज्यादा सेंसिटिव एरिया से है तो उन्हे यह गाड़ी दे दी जाएगी जिससे की वह अपने परिजन को अस्पताल तक पहुंचा सके। उसके बाद वह इस गाड़ी को कैंप में जमा करा देंगे।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब सीआरपीएफ ने नक्सल गतिविधियों पर काबू करने के साथ सामाजिक सरोकार को भी निभाया है। इससे पहले भी कई मौकों पर सीआरपीएफ ने जंगल को अपना घर मानने वाले इन आदिवासियों के कई उम्दा कार्य किये हैं। इनके द्वारा सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत हर तरह से गरीब आदिवासियों की मदद की जाती है।
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