नई दिल्ली. पंजाब नेशनल बैंक (PNB Scam) घोटाला मामले में फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के ‘रेड नोटिस’ से हटा दिया गया है. फ्रांस के लियोन शहर स्थित इंटरपोल के मुख्यालय में चोकसी की ओर से दायर याचिका के आधार पर यह कदम उठाया गया है.
‘रेड नोटिस’, 195-सदस्यीय देशों के संगठन इंटरपोल की ओर से दुनियाभर में कानून लागू करने वाली एजेंसियों को प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लिए आरोपी व्यक्ति का पता लगाने और हिरासत में लेने के लिए जारी किए गए ‘अलर्ट’ का उच्चतम स्तर है. इंटरपोल ने 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था. भारत से फरार होने के लगभग 10 महीने बाद यह नोटिस जारी किया गया था. उसी साल चोकसी ने एंटीगुआ एवं बारबुडा की नागरिकता ले ली थी.
चोकसी पर नीरव मोदी संग मिलकर घोटाले का है आरोप
मेहुल चोकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच के अधिकारियों की मिलीभगत से 14 हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने का आरोप है. वर्ष 2011 से 2018 के बीच फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) के जरिए रकम विदेशी खातों में ट्रांसफर की गई थी. सीबीआई ने इस घोटाले में चोकसी और नीरव मोदी दोनों के खिलाफ अलग-अलग आरोपपत्र दाखिल किया था.
रेड कॉर्नर नोटिस हटने के बाद भारत को क्या नुकसान?
रेड कॉर्नर नोटिस हटने के बाद चोकसी भारत को छोड़कर कहीं भी यात्रा करने के लिए स्वतंत्र है. हालांकि इससे भारत में लंबित उनके आपराधिक मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. रेड कॉर्नर नोटिस एक प्रयास था कि उसे पकड़ा जा सके और यहां (भारत) लाया जा सके यदि वह कहीं भी यात्रा कर रहा है. ऐसे में अब उसे इस जोखिम से राहत मिल गई है.