शरद पाठक, छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा ब्लाक में स्थित आंचलकुंड दादाजी दरबार में आज केंद्रीय मंत्री अमित शाह पहुंचेंगे। आंचलकुंड धाम आदिवासियों की आस्था का केंद्र है। यहां 100 सालों से कुंड में लगातार धूनी जल रही है, जो कभी नहीं बुझी। आदिवासियों की इस दरबार में बड़ी आस्था है। किवदंती है कि यहां खंडवा के दादाजी धूनीवाले ने ही धूनी जलाई थी, जो आज तक लगातार जल रही है। अमित शाह का यह दौरा आदिवासियों को साधने का भाजपा का एक प्रयास समझा जा रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज छिंदवाड़ा दौरे पर हैं। उनके इस दौरे पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बड़ी तैयारी की है।
आदिवासी समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र आंचल कुंड धाम हर्रई विकासखंड के ग्राम बटकाखापा के पास स्थित है। इस मंदिर में दादा जी का दरबार सजा हुआ है जहां पर एक कुंड भी है जिसमें लगातार धूनी जलती रहती है। इस दरबार में लगभग 100 सालों से अखंड धूनी जल रही है जिसकी भभूति से लोगों की सभी समस्याओं का समाधान होता है। यह क्षेत्र पहले वीरान था। कमलनाथ ने कुछ वर्षों पूर्व इस मंदिर के जीर्णोद्धार का किया और यहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। तब से इस क्षेत्र में लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
आंचलकुंड का इतिहास
आंचल कुंड धाम में हर 1 जनवरी को मेला लगता है जहां काफी संख्या में लोग पूजा करने के लिए आते हैं। 14 जनवरी मकर सक्रांति पर्व 30 जनवरी शिष्य सम्मेलन महाशिवरात्रि पर्व एवम इसके बाद नौतपा साधना कार्यक्रम होता है जो 25 मई से 2 जून तक चलता है। गुरु पूर्णिमा एवं रतनदास जी महाराज की बरसी श्री गंगा पंचमी आदि विशेष पर्वो में दरबार में भंडारे का आयोजन होता है। आज से करीब 100 साल पूर्व आंचलकुंड धाम की स्थापना कंगाल दास बाबा जी ने की थी। दादाजी धूनीवाले ने धूनी जलाते हुए कंगाली बाबा को वरदान दिया कि हम यहीं पर निवास करेंगे और इसी धूनी से सभी के संकट दूर होंगे। तब से लेकर आज तक आंचल कुंड धाम में अखंड धूनी जल रही है।
बाबा कंगाल दास जी आदिवासी परिवार सिंगरामी इनवाती के परिवार में जन्मे थे। परिवार मजदूरी करने नरसिंहपुर जाता था जहां साईं खेड़ा में दादाजी धूनीवाले का दरबार था। वहां जाकर कंगाल दास बाबा रहने लगे और पूजा-पाठ करने लगे। इसके बाद वे दादाजी धूनीवाले की पूजा-अर्चना आंचल कुंड में करने लगे एवं दादाजी धूनी वाले कि धूनी यहां प्रज्ज्वलित की गई। ऐसी मान्यता है कि इस धूनी की भभूति से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। आंचलकुंड धाम में खंडवा के दादाजी धूनीवाले मान्यता है कि केशवानंद जी महाराज और हरिहर महाराज ने आकर अपने भक्त कंगाल दास बाबा को दर्शन दिए थे, वहीं अपने हाथों से यहां धूनी जलाई थी।
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