रायपुर- चुनावी तैयारियों में जुटी बीजेपी-कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. आदिवासी सीटों की बदौलत सरकार बनाने की कवायद में जुटी दोनों ही पार्टियों को अब इन सीटों पर सर्व आदिवासी समाज की चुनौती मिलेगी. समाज ने तय किया कि प्रदेश की 29 आदिवासी सीटों में से 18 सीटों पर समाज चुनावी मैदान में कूदेगी. जाहिर है सर्व आदिवासी समाज का चुनावी राजनीति में आने का बड़ा खामियाजा बीजेपी-कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है.
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष बीपीएस नेताम ने www.lalluram.com से हुई बातचीत में इस बात की पुष्टि की है. दरअसल सर्व आदिवासी समाज राज्य में आदिवासियों के हितों की अनदेखी को लेकर नाराज है. समाज की दलील है कि राज्य में आदिवासी हितों को सरकार ने नजरअंदाज कर रखा है. सियासी फायदा उठाने और आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिहाज से ही बीजेपी सरकार काम कर रही है. सर्व आदिवासी समाज ने कांग्रेस पर भी सियासी गणित बिठाते हुए आदिवासी वोट बैंक को साधने की राजनीति करने का आरोप लगाया है. बीपीएस नेताम ने कहा है कि- अभी फिलहाल यह तय नहीं है कि प्रदेश की 29 आदिवासी सीटों में से किन 18 सीटों पर सर्व आदिवासी समाज चुनाव लड़ेगा, लेकिन समाज अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेगी यह तय है. समाज की ओर से मिल रहे संकेत बताते हैं कि बस्तर और सरगुजा की आदिवासी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जा सकते हैं.

जारी रहेगा पत्थलगढ़ी आंदोलन

बीपीएस नेताम ने कहा है कि जशपुर से शुरू हुआ पत्थलगढ़ी आंदोलन जारी रहेगा. पत्थलगढ़ी को असंवैधानिक बताकर जिन आदिवासी नेताओं को सरकार ने गिरफ्तार कराया है, उनकी रिहाई की मांग को लेकर समाज की ओर से 17 जून को जशपुर में बड़ी रैली निकाली जाएगी. रैली निकालकर जेल भरो आंदोलन भी चलाया जाएगा. नेताम ने कहा कि आदिवासियों को उनकी अपनी जमीन से बेदखल करने के लिए सरकार ने गहरी साजिश रची है. विस्थापन के खिलाफ सर्व आदिवासी समाज की यह लड़ाई जारी रहेगी. आदिवासी इलाकों के हर गांव में ग्राम सभा का आयोजन किया जाएगा. साथ ही आदिवासी समाज के बीच जनजागरण का काम किया जाएगा.

बीजेपी-कांग्रेस की रणनीति हो सकती है फेल

सर्व आदिवासी समाज की चुनावी राजनीति में उतरे जाने के ऐलान के बाद बीजेपी-कांग्रेस का चुनावी गणित गड़बड़ा सकता है. सत्ता की चौथी पारी खेलने का इरादा रख रही बीजेपी बस्तर औऱ सरगुजा के रास्ते ही सत्ता में वापसी चाहती है. तो इधर कांग्रेस भी आदिवासी वोट बैंक के बूते ही राज्य की सत्ता बीजेपी से हथियाने की कवायद में जुटी हुई है. प्रदेश में 29 आदिवासी सीट हैं. इनमें से यदि 18 सीटों पर सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे, तो जाहिर है बीजेपी-कांग्रेस का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.