जयपुर। राजस्थान में डॉक्टरों और सरकार के बीच सुलह का कोई रास्ता आसानी से निकलता हुआ नहीं दिख रहा। राइट टू हेल्थ बिल को लेकर दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी बातों पर अड़ गए है। एक तरफ निजी अस्पतालों के चिकित्सक RTH के वापसी की मांग की कर रहे हैं। वहीं शासन व चिकित्सा विभाग किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं हैं।
बता दें कि निजी अस्पताल और चिकित्सकों द्वारा 29 मार्च को पूरी तरह काम बंद का आह्वान किया गया था। सरकारी चिकित्सक और IMA ने भी सहयोग देने की बात कही थी। जिसके बाद पूरे प्रदेश में चिकित्सीय सेवाओं पर ब्रेक लगने की स्थिति उत्पन होता देख सरकार ने 28 मार्च को ही सरकारी चिकित्सा विभाग के सभी वर्गों के लिए आदेश जारी कर दिया।
इस आदेश के अनुसार राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेज को निर्देशित किया गया है कि सभी चिकित्सा सेवाओं, जिसमें आपातकालीन और गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली सेवा निर्बाध रूप से जारी रहेंगी। आदेश में सभी चिकित्सीय सेवा से जुड़े लोगों की उपस्थिति को सुबह 9:30 बजे तक विभाग को भेजने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। अगर कोई भी कर्मचारी या चिकित्सक बिना पूर्व अनुमति के अवकाश पर जाता है तो विभाग को तुरंत सूचित करना होगा। इसी के साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश जारी किए गए हैं।
रेजिडेंट डॉक्टर्स के लिए सरकार ने सख्त निर्देश जारी करते हुए चिकित्सा विभाग ने कार्य लापरवाही और अवकाश की स्थिति में उनका पंजीयन निरस्त करने की बात कही है। सरकार के आदेश के बाद डॉक्टर्स के प्रदेश व्यापी हड़ताल पर भी इसका असर देखने मिल सकता है। वहीं अब डॉक्टर्स संघर्ष समिति इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की तैयारी में है।
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