सुशील सलाम, कांकेर. पूरे देश में आईपीएल का खुमार चढ़ा हुआ है. वहीं कांकेर की ये बेटियां संसाधनों की कमी के बावजूद क्रिकेट की दुनिया में अपना लोहा मनवा रही है. कांकेर की इन बेटियों को क्रिकेट की दुनियां के शिखर तक पहुंचने में निस्वार्थ भाव से इनके कोच भी जुटे हुए हैं. उनका कहना है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के साथ बेटी खेलाव भी जरूरी है. आइए कांकेर की इन Girls क्रिकेटरों के बारे में जानते हैं.

16 लड़कियां 3 सालों से खेल रही क्रिकेट

कांकेर के ग्रामीण क्षेत्रों की रहने वाली 16 लड़कियां पिछले 3 सालों से क्रिकेट खेल रही हैं, जो राज्य स्तरीय और नेशनल तक खेल चुकी हैं. कोच सुनील ठाकुर बताते हैं कि लड़के अक्सर क्रिकेट खेलते थे, जिन्हें देखकर ये लड़कियां बोलती थी कि हमें भी क्रिकेट खेलना है. मेरे साथ ऐसी लड़कियां जुड़ती गई फिर सबने एक टीम बनाई और प्रेक्टिस शुरू किया.

कोच ने बताया, लड़कियां की इस टीम ने फिर संभाग स्तरीय खेला, राज्य स्तरीय तक गए. इनमें कई लड़कियों ने नेशनल तक खेल लिया. बहुत पहले एक क्रिकेट टूर्नामेंट कराया गया था. प्रशासन एक अभियान चला रहा था. बेटी बचाओ बेटी बढाओ. मैने सोचा बेटी खेलाव भी हो जाए, यहां से मेरी शुरुआत हुई और लड़कियों को खेलाना शुरू की.

व्यापारी ने खिलाड़ियों को दिए टी-शर्ट

बातचीत में गर्ल्स क्रिकेटर रिया शोरी ने कहा, मैं इंडिया के लिए खेलना चाहती हूं. छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करते हम इंडिया टीम में पहुंचना चाहते हैं. हमारे पास संसाधन नहीं है. आज ही शहर के व्यापारी ने हमें एक समान टी शर्ट दिया है. पहले हम अलग-अलग टी शर्ट पहनते थे, लेकिन आज एक सामान टी शर्ट मिलने से बहुत खुशी हो रही है. ऐसे ही मैदान से लेकर बेट-बॉल तक की कमी होती है, लेकिन हमारे कोच कम संसाधनों में भी हमें लगातार सिखा रहे हैं.

खेल में भी लड़कियां आगे आएं

गर्ल्स क्रिकेटर कुमकुम नाग कहती है कि बहुतायत घरों में लड़कियों को खेल में जाने के लिए मना करते हैं, लेकिन आज लड़कियां खेल रही हैं. कांकेर में भी लड़कियां आज क्रिकेट खेल रही है. अक्सर पढाई करो खेल में क्या रखा है, कइयों की ऐसी सोच रहती है, ये बिल्कुल गलत है. लड़कियां खेल में भी बहुत कुछ कर सकती है इसीलिए कहते हैं लड़कियां खेलाओ.

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