सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूट्यूब के खिलाफ लाइव स्ट्रीमिंग के कॉपीराइट की सुरक्षा को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि उसने कार्रवाई शुरू कर दी है. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आरएसएस के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य द्वारा दायर उस याचिका को खारिज किया है, जिसमें 2018 के एक फैसले के अनुसार लाइव स्ट्रीम की गई कार्यवाही के कॉपीराइट की सुरक्षा के लिए यूट्यूब के साथ एक विशेष व्यवस्था करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने याचिका में उठाए गए मुद्दे के समाधान के लिए एक तंत्र विकसित करने पर काम करना शुरू कर दिया है. पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए गोविंदाचार्य की ओर से पेश हुए वकील विराग गुप्ता से कहा, ”हमने काम करना शुरू कर दिया है. आप महासचिव (सुप्रीम कोर्ट के) को सुझाव दे सकते हैं.

बता दें कि दो जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी की आलोचना करना बहुत आसान है. पीठ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व विचारक के एन गोविंदाचार्य की ओर से पेश अधिवक्ता विराग गुप्ता से पूछा था कि ऐसे समय में ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ के लिए किन तौर-तरीकों का पालन किया जा सकता है जब राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) कह रहा कि उसके पास तीसरे पक्ष के एप्लिकेशन के बिना अदालत की ‘लाइव-स्ट्रीम’ कार्यवाही के लिए पर्याप्त तकनीकी ढांचा नहीं है.

पीठ ने दो जनवरी के अपने आदेश में इस मामले में शीर्ष अदालत के महासचिव की ओर से दाखिल हलफनामे का हवाला दिया था. हलफनामे में कहा गया था कि शीर्ष अदालत की पूर्ण पीठ ने पिछले साल 20 सितंबर को हुई बैठक में संविधान पीठों के समक्ष कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ शुरू करने का फैसला लिया था.

पिछले साल 17 अक्टूबर को शीर्ष अदालत गोविंदाचार्य की उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी, जिसमें 2018 के फैसले के अनुसार अदालती कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ पर कॉपीराइट की सुरक्षा को लेकर यूट्यूब के साथ एक विशेष समझौते के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.

गोविंदाचार्य ने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ उस फैसले के अनुसार की जानी चाहिए जिसमें कहा गया है कि ‘लाइव स्ट्रीम’ की गई कार्यवाही पर कॉपीराइट को सौंपा नहीं किया जा सकता है और न ही यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म द्वारा व्यावसायिक रूप से इसका उपयोग किया जा सकता है.