अजयारविन्द नामदेव,शहडोल। एक ओर जहां सरकार और स्वास्थ्य विभाग मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करने का हर सम्भव प्रयास कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर शहडोल मेडिकल कालेज प्रबंधन उनके इस नेक काम में पानी फेरने का काम कर रही है। मेडिकल कालेज प्रबंधन का लापरवाही का नतीजा मेडिकल को दान में मिली 2 एंबुलेंस वाहन धूल फांक रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते दोनों वाहन जंग खा रहे हैं। आपातकाल में एंबुलेंस की कई बार कमी देखने में आती है। ऐसे में मरीजों को ज्यादा पैसे खर्च कर निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है। आज भी एंबुलेंस अस्पताल परिसर में खड़ी-खड़ी जंग खा रही हैं। मरीजों के लिए सड़कों पर दौड़ने वाले इन आपात वाहनों से परिसर भी भरा-भरा नजर आ रहा है।

शहडोल संभाग के एक मात्र मेडिकल कालेज में शहडोल उमरिया, अनूपपुर के अलावा आसपास के जिले सहित शहड़ोल से लगे छत्तीसगढ़ से लोग इलाज कराने शहडोल मेडिकल कालेज आते हैं। जहां उन्हें जरूरत पड़ने पर मेडिकल कालेज में धूल खा रही लोगों को एम्बुलेंस नशीब नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते दोनों वाहन जंग खा रहे हैं। आपातकाल में एंबुलेंस की कई बार कमी देखने में आती है। इससे मरीजों को ज्यादा पैसे खर्च कर निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है। जबकि शहडोल कोविड काल में मेडिकल कॉलेज को एसईसीएल के सीएसआर से 2 नई एंबुलेंस तत्कालीन कलेक्टर की पहल पर मिली थी, ताकि संसाधन के अभाव में किसी भी मरीज को दर-दर न भटकना पड़े। लेकिन अब प्रबंधन की बड़ी लापरवाही निकलकर सामने आई है।

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मेडिकल कॉलेज को मिली एंबुलेंस चलकर तो आई और उद्घाटन भी हुआ, लेकिन एंबुलेंस मेडिकल कॉलेज से दोबारा निकली ही नहीं। मामले में प्रबंधन का जवाब भी हास्यास्पद दिखाई दे रहा है। लाखों की लागत से मिली एंबुलेंस के क्रियान्वयन के लिए स्टाफ खर्च मुहैया नहीं होने का बहाना बताकर प्रबंधन मामले से पल्ला झाड़ रहा है।

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अब देखना होगा आगामी दिनों में ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्र से आए हुए मरीजों को एंबुलेंस सुविधा का लाभ मिलेगा या नहीं। यह आगामी दिनों में दिखाई देगा। फिलहाल गेट के सामने प्राइवेट एंबुलेंस की भरमार है, जो मनमानी पैसा लेकर आमजन की कमाई लूट रहे हैं । प्रबंधन शासकीय एंबुलेंस की सुविधा मरीजों को देती है तो इससे आमजन की कमाई लूटने से बचाया जा सकेगा। वहीं इस पूरे मामले में मेडिकल कालेज प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ते हुए इस मामले में कुछ भी कहने और अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है।

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