सूर्य जगत पिता है… इनकी शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान हैं. वैदिक ज्योतिष में सूर्य आत्मा, पिता, पूर्वज, उच्च सरकारी सेवा और राज शाही गौरव आदि का कारक कहा जाता है. सूर्य के शुभ प्रभाव से हर तरह की सेवाओं में उच्च पद की प्राप्ति होती है और व्यक्ति वैभव शाली जीवन व्यतीत करता है. वहीं सूर्य के अशुभ प्रभाव से मान-सम्मान में कमी, पिता को कष्ट और नेत्र पीड़ा की संभावना रहती है.

मेष संक्रांति 2023 तिथि और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मेष संक्रांति 14 अप्रैल 2023, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. मेष संक्रांति का पुण्य काल सुबह 10 बजकर 55 मिनट से शाम 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महा पुण्य काल दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से शाम 05 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. इस विशेष दिन पर सूर्य दोपहर 03 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा. सूर्य मेष राशि में उच्च का होता है. मेष राशि चक्र की प्रथम राशि है.

इस समय सूर्य नक्षत्र समूह के प्रथम नक्षत्र अश्विनी में भी प्रवेश करता है. मेष राशि मंगल की राशि है इस राशि मे सूर्य का स्वभाव पराक्रम और राजनीति दोनो के लिए मिश्रण का प्रभाव देने के लिये जाना जाता है. सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होते ही खरमास की समाप्ति हो जाती है और इस दिन से सभी मांगलिक कार्यो की शुरुआत होती है. सूर्य का मीन से मेष राशि में प्रवेश होना उच्च माना गया है. सूर्य का उच्च राशि में प्रवेश शुभ फलदायी है. जिन जातको के लिए सूर्य अशुभ हो तो उन्हें सूर्य की शांति के लिए उगते सूर्य की उपासना करेन. नित्य सूर्य को ताम्बे के लोटे से जल अर्पण करे. साथ ही पीले रंग के चन्दन से अर्ध्य दें और 11 बार सूर्य नमस्कार करें.

इसके अलावा तुलसी के पौधे लगायें या दान करें. हर शाम घी का दीपक लगायें. गायों को रोटी बना कर गुड के साथ हर रविवार को खिलाए. माणिक्य धारण करें. माणिक्य के अभाव में लाल हकीक धारण करें. “आदित्य ह्रदय स्तोत्र“ का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए, लाभदायक होता हैं. भगवान सूर्य के अनेक नाम मंत्र हैं. ‘ॐ सूर्याय नम:’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नम: का प्रयोग करना चाहिए. संक्रांति के दिन तुलादान भी सूर्य शांति में लाभदायक हैं. सूर्य कृत साधारण अरिष्टों में नवग्रह कवच सहित सूर्य-कवच एवं शतनाम का पाठ भी शुभ फल देता हैं. लगातार ५, ११ या ४३ रविवार का व्रत करें. ग्यारह रविवार व्रत कर दोपहर में दही-भात का सेवन करें. बंदरों को गुड और चने खिलाएं. सोना, तांबा , गुड़ आदि का दान करें.