अजयारविंद नामदेव, शहडोल। वर्दी पहनकर लोगों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले शहडोल जिले के 7 पुलिसकर्मियों ने नौकरी छोड़ दी है। दरअसल, इन पुलिसकर्मियों का चयन शिक्षक वर्ग तीन में हुआ है। कांस्टेबल की नौकरी के दौरान शिक्षक बने पुलिसकर्मियों के सामने कई दिनों तक असमंजस की स्थिति रही कि वह क्या करें और क्या नहीं, एक ओर वर्दी की शान तो दूसरी तरफ शिक्षक का सम्मान, इन सब के बीच कांस्टेबलों ने वेतन के आधार पर शिक्षक की नौकरी बेहतर समझी और पुलिस विभाग की नौकरी छोड़ शिक्षक बनने का निर्णय लिया है।

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शहडोल जिले के 7 पुलिस कर्मियों ने पुलिस की नौकरी छोड़कर ‘मास्साब’ बनने के लिये बदन से खाकी वर्दी उतार दी है। एक पुलिस आरक्षक ऐसा भी है जो कि संविदा वर्ग तीन में 10 साल की नौकरी करने के बाद वहां से इस्तीफा देकर पुलिस में आया था। इसके बाद फिर से इसने पुलिस विभाग को छोड़ शिक्षा विभाग को चुना है। नाम न छापने की शर्त पर आवेदन किए एक पुलिसकर्मियों ने बताया कि सिपाही का ग्रेड पे 19 सौ रुपये से शुरू है, जबकि शिक्षक वर्ग तीन का ग्रेड पे 24 सौ रुपये से। दोनों में बड़ा अंतर है।

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वहीं अगर कार्य दिवस की बात की जाए तो शिक्षक को सप्ताह में केवल 6 दिन की नौकरी करनी होती है। रविवार को अवकाश रहता है। इसके अलावा त्योहार में भी अवकाश मिलता है, जबकि पुलिस महकमे में सप्ताह भर हर दिन नौकरी करनी होती है। इसके अलावा पुलिस की नौकरी में 24 घण्टे सुरक्षा की दृष्टि से हर कमर्चारी को मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है।

एसपी कुमार प्रतीक ने बताया कि ‘7 जवानों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। इनमें से 5 नव आरक्षक है जो अभी अभी भर्ती होकर आए थे। इनको बेहतर अपॉर्चुनिटी मिल रही है, इसलिये दूसरे विकल्प कर रूप में जा रहे हैं।

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