महासमुंद। छत्तीसगढ़ में एक और किसान ने कर्ज से तंग आकर आत्महत्या कर ली । महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लाक के ग्राम मोखा के आदिवासी किसान मन्थीर सिंह ध्रुव ने गुरुवार सुबह 7 बजे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली ।
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मण्डल सदस्य द्वारिका साहू, डॉ संकेत ठाकुर और पूर्व जज प्रभाकर ग्वाल सूचना मिलने के बाद मोखा पहुंचकर मंथिर सिंह ध्रुव के अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
आदिवासी किसान के परिजनों से मिलने के बाद उन्हें जो जानकारी मिली उसके अनुसार मृतक ने बैंक से और साहूकारों से लगभग 10 लाख लोन फसल बोने और ट्रेक्टर के नाम से ले रखा था । उसकी कुल 14 एकड़ जमीन थी । जिसमे से 7.5 एकड़ में इस वर्ष ग्रीष्मकालीन धान की फसल लगायी थी । लेकिन खेत के बोर का पानी खत्म हो गया । उसने फसल बचाने के लिये कर्ज लेकर खेत की मेढ़ पर दूसरा बोर करवाया लेकिन वह असफल हो गया।
पिछले 2 वर्ष से गांव में वर्षा की कमी के कारण लगातार फसल बर्बाद हो रही थी । फसल बीमा करवाने के बावजूद उसे मुआवजा नहीं मिला । सहकारीबैंक से रु 3.60 लाख का कर्ज था लेकिन गत वर्ष 2.50 लाख पटा सकने के कारण डिफाल्टर हो गया । गांववालों ने बताया कि उस पर साहूकारों का भी कर्ज था जिसकी जानकारी घर के लोगों को नही है।
मन्थीर सिंह के दोनों बेटों देवीसिंग और मोहन सिंह ने जानकारी दी कि पिताजी फसल सूखने के बाद लगातार गुमसुम रहते थे और ज्यादा बात नहीं करते थे । उनके परिवारिक मित्र बसंत चन्द्राकर ने बताया कि मन्थीर सिंह कहा करते थे कि कर्ज बहुत बढ़ गया है, फसल चौपट हो गई है, कर्जा कैसे चुकाऊंगा ।
मन्थीर सिंह के बेटे मोहन ने तहसीलदार को लिखित बयान दिया है कि फसल की बर्बादी, बीमा मुआवजा नही मिलने और बढ़ते कर्ज की वजह से पिताजी ने हताश होकर आत्महत्या कर ली ।
छत्तीसगढ़ किसान महासंघ के संयोजक सदस्य द्वारिका साहू, डॉ संकेत ठाकुर और प्रभाकर ग्वाल ने राज्य सरकार मृतक के परिवार को रु 50 लाख का मुआवजा देने की मांग की है । उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और भाजपा अध्यक्ष धरम कौशिक पर किसानों के दुःख दर्द पर घटिया बयान देने पर आपत्ति की है । किसान महासंघ ने सवाल किया है कि आखिर किसानों की कर्ज माफ़ी कब होगी ? डॉ रमन सिंह किसानों की कर्ज माफी, बोनस, समर्थन मूल्य आदि मांगो को पूरा करने आखिर कितने किसानों की बलि मांग रहे है ?
किसान महासंघ ने चेतावनी दी है कि किसानों के दर्द पर घटिया बयानबाज़ी देने की बजाय शीघ्र वाजिब मांगो को पूरा करें अन्यथा छत्तीसगढ़ के किसान विधायको, सांसदों का घेराव करेंगे ।