आशुतोष तिवारी, नारायणपुर। छत्तीसगढ़ में नया साल शुरू होने से पहले एक नई सरकार होगी. साढ़े चार साल पहले जिस उम्मीदों के साथ जनता ने सरकार का चुनाव किया था, वह अपने वायदों पर खरी उतरी की नहीं, इस बात की पड़ताल करने lalluram की टीम प्रदेश के एक-एक विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रही है. बिलासपुर के बेलतरा विधानसभा से शुरू हुई यह यात्रा अबकी बार आदिवासी इलाके नारायणपुर पहुंची हैं, जहां के कांग्रेस विधायक चंदन कश्यप का बहीखाता हम आपके सामने पेश कर रहे हैं.

विधानसभा का इतिहास

छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य नारायणपुर में जिला और विभागीय मुख्यालय मौजूद है. यह जिला 11 मई 2007 को बनाए गए दो नए जिलों में से एक है. इस जिले को बस्तर जिले से बनाया गया था. नारायणपुर शहर इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है. इस जिले के अंतर्गत 366 गांव आते हैं. नारायणपुर जिला का क्षेत्रफल 20.98 किमी² है.

महिला मतदाताओं का दबदबा

नारायणपुर जिले में कुल आबादी का 70% से अधिक आदिवासी हैं, जिसमें गोंड, मारिया, मुरिया, ध्रुवा, भात्रा, हलबा जनजाति शामिल हैं. वहीं नारायणपुर विधानसभा की बात करें तो कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 79 हजार 17 है. इनमें महिला मतदाताओं की संख्य़ा 92 हजार 154 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 86 हजार 863 है. इस तरह से इस विधानसभा में महिला मतदाताओं का दबदबा है.

कभी केदार तो कभी चंदन जीते

2018 विधानसभा चुनाव में कुल 8 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के केदार कश्यप और कांग्रेस के चंदन कश्यप के बीच था. चंदन कश्यप को 58 हजार 652 वोट मिले थे, वहीं केदार कश्यप को 56 हजार 5 मत मिले थे. इस तरह से चंदन कश्यप ने केदार कश्यप को 2 हजार 647 वोटों से हराया था. इसके पहले 2013 विधानसभा चुनाव में केदार कश्यप को 54 हजार 874 मत तो वहीं चंदन कश्यप को 42 हजार 74 वोट मिले थे. इस तरह से केदार कश्यप ने कांग्रेस प्रत्याशी को 12 हजार 800 मतों से मात दी थी.

क्या कहते हैं विधायक

नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप अपने साढ़े चार के कार्यकाल का लेखा-जोखा बताते हुए नए तहसीलों के निर्माण के साथ-साथ आत्मानंद स्कूलों की स्थापना कराई. एक-दो नहीं बल्कि तीन पुलियों का निर्माण कराया. क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया है.

विपक्ष का गंभीर आरोप

पूर्व विधायक भाजपा के केदार कश्यप कहते हैं कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में क्षेत्र में एक भी विकास का काम नहीं हुआ. जो काम हुए वे केवल कमीशनखोरी के लिए हुए. उन्होंने आदिवासियों के धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक पास्टर के तौर पर काम कर रहे हैं.

प्रमुख समस्या

बात करें प्रापर नारायणपुर में रहने वालों की तो उनका कहना है कि विधायक तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उन्हें लंबा सफर (भानपुरी) करना पड़ता है. नारायणपुर का अगर स्थानीय विधायक होता तो उन्हें अपनी परेशानी बताने में आसानी होती. वहीं मारदापाल की बात करें तो रहवासियों की मांग कॉलेज के अलावा जिला सहकारी बैंक की शाखा और अस्पताल में लेडी डॉक्टर की है.

नजर नहीं आते विधायक

नारायणपुर के लोगों की आम शिकायत है कि विधायक चुनाव के बाद नजर नहीं आते हैं. उनके क्षेत्र का दौरा नहीं करते हैं, जिसकी वजह से समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है. वहीं विधायक तक पहुंच रखने वालों की शिकायत है कि विधायक की बात ऊपर तक नहीं सुनी जाती है, जिसकी वजह से विकास कार्यों में क्षेत्र पिछड़ रहा है.

कॉलेज की दरकार

मरदापाल के रहवासियों की वर्षों पुरानी मांग कॉलेज स्थापना की है. लोगों का कहना है कि उनके बच्चों को पढ़ने के लिए कोंडागांव या फिर जगदलपुर तक का सफर करना पड़ता है. रोज-रोज आने-जाने की परेशानी की वजह से बहुत से बच्चों ने पढ़ाई की खातिर घर छोड़ दिया है. कॉलेज की स्थापना से बच्चों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

जिला से जुड़ी उम्मीदें अधूरी

आम जनता ने चर्चा में बताया कि नारायणपुर जिला बनने से विकास की गंगा बहने की जो उम्मीद बंधी थी, वह अब तक पूरी नहीं हुई है. कई इलाकों में बिजली, पानी और सड़क की समस्या यथावत है. बेहतर होता कि जिला गठन के साथ-साथ लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए जनप्रतिनिधि और शासन-प्रशासन मिलकर काम करते.