कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हर महीने बिजली के रेट बढ़ाए जाने के मामले को लेकर मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग और मध्यप्रदेश शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने विद्युत नियामक आयोग से पूछा है कि आखिर किस आधार पर हर महीने बिजली के रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया है. यही नहीं हाईकोर्ट ने इस तरह से हर महीने बिजली के रेट में इजाफा करने को विद्युत नियामक आयोग के अधिनियम के खिलाफ बताया है.

आदेश को रद्द कर वापस लेने के निर्देश

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विद्युत नियामक आयोग का यह आदेश मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिनियम की धारा 62(4) के खिलाफ है. लिहाजा इस आदेश को अमान्य घोषित कर इसे वापस लिया जाए.

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बिजली कंपनियों ने बिना अनुमति के मांगी थी रेट बढ़ाने की परमिशन

दरअसल मध्य प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों ने मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में याचिका लगा इस बात के लिए मंजूरी मांगी थी कि उन्हें हर महीने फ्यूल सरचार्ज, मेंटिनेस इत्यादि के नाम पर बिजली के रेट में इजाफा करने की इजाजत दी जाए. जिसे स्वीकार करते हुए विद्युत नियामक आयोग ने 17 मार्च, 2023 को मंजूरी दे दी थी.

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नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने लगाई थी याचिका

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के सदस्य रजत भार्गव ने बताया कि उन्होंने मध्य प्रदेश की विद्युत विद्युत वितरण कंपनियों के मनमानी के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने यह मांग की थी कि, बिजली कंपनियों का यह आदेश जनता के अधिकारों का हनन है. साथ ही सीधे सीधे जनता के पैसों की लूट है.

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