टुकेश्वर लोधी, आरंग। निजी कंपनी में 90 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पर काम करने वाले आशुतोष पांडेय के मन में पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसी प्रेरणा जगी कि उसने नौकरी छोड़ लोगों के बीच अलख जगाने पदयात्रा शुरू की. अयोध्या से पदयात्रा शुरू कर विभिन्न पड़ाव से होते हुए आशुतोष आरंग पहुंचा. यहां स्कूली बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुए पौधरोपण करने के बाद ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के लिए निकल पड़ा.

आशुतोष ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर पैदल भारत भ्रमण की प्रेरणा उसे खुद से मिली. उसने इस यात्रा को वंदे भारत पदयात्रा नाम दिया है. इसके लिए उन्होंने 4 दिसंबर को प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से पदयात्रा की शुरुआत थी. वे अबतक करीब 2900 किलोमीटर की दूरी तय कर उत्तर प्रदेश से बिहार व झारखंड होते हुए छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं. यहां से ओडिशा के लिए रवाना होने के साथ 2024 में वापस अयोध्या में पदयात्रा को समाप्त करने का लक्ष्य है.

बच्चों को पर्यावरण के प्रति किया जागरूक

सुल्तानपुर, उत्तरप्रदेश के रहने वाले 24 वर्षीय आशुतोष पांडे पदयात्रा के दौरान गुरुवार को आरंग पहुंचे. रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार सुबह आरंग के गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुए बच्चों के साथ स्कूल परिसर में पौधरोपण किया. इसके बाद वे नेशनल हाईवे 53 होते हुए ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के लिए निकल पड़े.

शिक्षा सत्र शुरू होते बच्चे लगाए पौधे

आशुतोष ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांग है कि स्कूलों में अगले शैक्षणिक सत्र से हर छात्र द्वारा एक पेड़ लगाए जाने की योजना को लागू किया जाए. शिक्षा का नया सत्र शुरू होने पर हर छात्र स्कूल के पहले दिन एक पौधा लगाए. पूरे सत्र उसकी देखभाल करे. सत्र के अंत में छात्र का लगाया पौधा कितना बड़ा हुआ, इसके आधार पर भी उसे परीक्षा में अंक दे. यदि ऐसा हुआ तो हर छात्र के मन में पर्यावरण के प्रति प्रेम जग उठेगा.

एक साल में भारत में 20 करोड़ पौधे

उन्होंने बताया कि एक साल में सिर्फ छत्तीसगढ़ में 50 लाख पौधे और पूरे भारत में 20 करोड़ पौधे लग जाएंगे. अब तक भ्रमण के दौरान उसने विभिन्न स्कूलों में पहुंचकर 900 पौधे लगवाए हैं. आशुतोष ने बताया कि उसने कई जगहों पर पर्यावरण का बेजा दोहन देखा है. निर्माण कार्यों के लिए हजारों हजार पेड़ काट दिए जा रहे हैं, इसके बदले में नए पेड़ लगाने की महज खानापूर्ति हो रही है. यदि यही स्थिति रही तो एक दिन ऐसा भी जाएगा, जब पानी की तरह लोगों को हवा भी खरीदनी होगी. जिनके पास हवा खरीदने के पैसे होंगे वहीं जीवित होंगे.

बैग में सामान के साथ लेकर चल रहे तिरंगा

आशुतोष अपने साथ सिर्फ एक बैग और उसके ऊपर तिरंगा झंडा लेकर वंदे भारत पदयात्रा पर चल रहा है. आशुतोष ने बताया कि बैग में उसने कुछ कपड़े और खाने पीने का सामान रखा है. बैग को ज्यादा वजनदार नहीं किया गया है, ताकि वह एक दिन में अधिक से अधिक दूरी तय कर सके. आशुतोष ने बताया कि जहां शाम होती है, वह वहीं रूक जाता है. यात्रा के दौरान कई बार उसे विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ा है.

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