नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सरकार के ‘ई-श्रम’ पोर्टल पर रजिस्टर्ड प्रवासी मजदूरों को 3 महीने के भीतर राशन कार्ड उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि वे नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के तहत लाभ उठा सकें.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छूटे हुए राशन कार्ड जारी करने और पोर्टल पर प्रवासियों को पंजीकृत करने के लिए 3 महीने का समय देते हैं. संबंधित अधिकारी कलेक्टरों को सूचित करें ताकि एनएफएसए के तहत अधिक से अधिक लाभ उठा सकें.’ मामले में अगली सुनवाई 3 अक्टूबर, 2024 को होगी.
जस्टिस एमआर शाह और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने का बड़े स्तर पर प्रचार किया जाए.
अदालत का यह आदेश अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोक्कर द्वारा फाइल की याचिका के बाद आया है. जिन्होंने मांग की थी एनएफएसए के तहत मजदूरों का कोटा होने के बावजूद उन्हें राशन दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित होना चाहिए और कहा कि कल्याणकारी राज्य में, सरकार का यह कर्तव्य है कि वह लोगों तक पहुंचे. इस साल फरवरी में, शीर्ष अदालत ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों से एनएफएसए के तहत राशन पाने वाले और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत लाभान्वित होने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या के बारे में जानकारी मांगा था. सरकार की ओर से शीर्ष अदालत को बताया गया कि लगभग 38 करोड़ प्रवासी श्रमिकों में से केंद्र द्वारा संचालित एक ऑनलाइन पोर्टल ई-श्रम पर देश भर के लगभग 28 करोड़ श्रमिकों का पंजीकरण किया गया है.
केंद्र सरकार ने बताया है कि 28.86 करोड़ श्रमिकों ने मदद के लिए बने ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है. 24 राज्यों और उनके श्रम विभागों के बीच डेटा शेयरिंग हो रही है. लगभग 20 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम केंद्र और राज्यों सरकारों द्वारा मिलकर किया गया प्रयास है.