पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। अभ्यारण्य के बफर जोन में मौजूद इचरादी व गोहरामाल में बसने के लिए 125 अतिक्रमणकारियों ने 474 हेक्टेयर में फैले 80 हजार से ज्यादा पेड़ों की बलि चढ़ा दी. कुछ पेशेवर कब्जाधारी बाहरी लोगों को अवैध कब्जे की जमीन को लीज पर भी दिए हैं. बसने वाले में 38 नाम कांकेर, विश्रामपुरी और ओडिशा के रहने वाले हैं. सरकार को लाखों का चूना लगा रहे हैं.

इंदागांव के शोरनामाल से अवैध कब्जा हटाने के बाद उदंती सीता नदी अभ्यारण्य प्रशासन ने तौरेंगा रेंज के कक्ष क्रमांक 1201 और 1202 में बसे इचरादी और इंदागांव रेंज के कक्ष क्रमांक 1248 में बसे गोहरामाल अवैध बस्ती से भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने की कार्रवाई शुरू कर दी है.

पुख्ता करने विभाग ने इशरो से 2008 व 2012 की सेटलाइट इमेज भी मंगाया है, जिसे बतौर साक्ष्य प्रस्तुत किया जाएगा. अभ्यारण्य के उपनिदेशक वरुण जैन ने इस कार्यवाही की पुष्टि करते हुए बताया कि सेटलाइट इमेज आने के बाद वर्तमान स्थिति का आंकलन ड्रोन के माध्यम से किया गया है. 2008 के बाद विगत 10 वर्षों में इचरादी में 65 लोगों ने 40 हजार से ज्यादा पेड़ों की कटाई कर 202 हेक्टेयर में कब्जा किया.

इतना ही पेड़ गोहरामाल में 60 लोगों ने 272 हेक्टे पर कब्जा किया है. एक सप्ताह से अवैध कटाई और कब्जे वाले इलाके का ड्रोन सर्वे भी किया गया है. ठूठ की गिनती भी हो रही है. अवैध कटाई को छुपाने आरोपियों ने ठूठ को जला कर मिट्टी से ढ़क कर निशान मिटाने की भी कोशिश की है. सभी को नोटिस जारी कर दिया गया है.

मई माह के दूसरे सप्ताह में बेदखली करने की कार्रवाई की जाएगी. वरुण जैन ने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा है कि वन अधिकार पट्टे का लालच देकर वन भूमि पर कब्जा कराने वालों के झांसे में लोग न आए. वन अधिकार 13 दिसंबर 2005 के पहले काबिज लोगो को दिए जाने का प्रावधान है.

इचरादी की अवैध जमीन लीज पर _ इचरादी में बसे 65 में से 40 लोग

कांकेर,विश्रामपुरी और ओडिशा के विभिन्न क्षेत्र के रहने वाले हैं. कार्रवाई के लिए जब वन अमला ने आरोपियों का नाम पता मांगा तो प्राप्त आधार कार्ड से इसका खुलासा हुआ है. तौरेंगा रेंजर बी एल सोरी ने बताया की कुछ साल पहले जुताई करने वाले कुछ लोगो पर जब कार्रवाई की जा रही थी. उन्होंने जमीन दूसरे से लेना बताया था. बदले में सालाना रुपए देने की बात भी वन स्टाफ से कहा था.

इसके अलावा विगत 5 साल में कई मर्तबे पीओआर की कार्रवाई की गई. हर बार आरोपी का नाम बदला हुआ मिला. वर्तमान में जारी कार्रवाई में 7 लोग नदारद हैं. अपने झोपड़ियों में ताला मार कर भाग गए हैं. इन्हीं तथ्यों के आधार पर वन विभाग को आशंका है कि कुछ स्थानीय लोग जो कब्जे वाले इलाके के कथित मुखिया है. उनके द्वार अतिक्रमन की जमीन बाहरी लोगों को लीज पर दिया जा रहा. अब तक यही माना जा रहा था कि अवैध कटाई वन भूमि के लालच में करते थे, लेकिन हाल में मिले लीज पर देने के प्रमाण से वन अमला ही नहीं प्रशासन को चौका दिया है.

उपजाऊ जमीन, बेहतर उत्पादन इसलिए मांग बढ़ गई

इचरादी ओडिसा के नवरंगपुर इलाके से लगा हुआ है. ओडिशा में मक्के की खेती का प्रचलन 2010के बाद बढ़ गया. अन्य जमीन की तुलना में वन भूमि बेहद उपजाऊ साबित हुआ. दलहन और मक्के का उत्पादन अन्य भूमि की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा हुई. बेहतर उत्पादन के कारण बाहरी लोग वन भूमि को हथियाने के लिए टूट पड़े, जिन्हें नहीं मिला. उन्हें स्थानीय कुछ और कथित मुखिया का गिरोह लीज पर जमीन उपलब्ध कराना शुरू किया. एक खरीफ फसल में प्रति हेक्टेयर 8 लाख से ज्यादा की आमदनी होती है. प्रति हेक्टेयर 50 हजार से लेकर 1लाख रुपए का किराया वसूला जाता है .

कृषि उपकरणों से लैस है कब्जा धारी, गांव में सुविधा भी

अवैध वन भूमि से आय बढ़ा तो इचरादी से कमाई करने वाले लोगों ने सुविधा भी बढ़ा लिया. ट्रेक्टर, थ्रेसर, पंप के अलावा फोकलेन, पिकअप जैसे कई मशीनरी से लैस हैं. अवैध रासायनिक खाद की बड़ी खेप भी हर साल इसी इलाके में खप जाता है. अवैध बस्ती में सोलर लाइट, बोर, राशन कार्ड के अलावा वहा बसने वाले लोग अपने बच्चों को पढ़ाने स्कूल और मास्टर की भी व्यवस्था की गई है.

पौध रोपण व कंटूर ट्रेंच बनाया जाएगा

बेदखली के बाद वन विभाग ने खाली पड़े भूमि के लिए कार्ययोजना बनाना शुरू कर दिया है. जैन ने बताया कि पौध रोपण कर जंगल खुशहाल करने के अलावा सभी जगहों पर महाराष्ट्र के तर्ज पर कंटूर ट्रेंच बनाया जाएगा. इससे मिट्टी कटाव कम होगा. साथ ही उस इलाके का वाटर लेबल रिचार्ज होगा. योजना का प्रपोजल उच्च अधिकारियों के माध्यम से शासन तक जा चुकी है.

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