कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि (10 crore defamation case) मामले में आज जबलपुर कोर्ट में सुनवाई हुई. ओबीसी आरक्षण पर कोर्ट के फैसले के बाद की गई टिप्पणी को लेकर राज्य सभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील विवेक तन्खा (Vivek Tankha) ने मानहानि का मुकदमा ठोका था. इस सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा कोर्ट पहुंचे और अपने बयान दर्ज करवाए. जिसकी हमारे संवाददाता कुमार इंदर ने कोर्ट के अंदर से लाइव रिपोर्टिंग की. तो चलिए बताते हैं कि हाईकोर्ट में बयान दर्ज कराते वक्त क्या-क्या बोले विवेक तन्खा ?

विवेक तन्खा (Vivek Tankha) ने कोर्ट में अपने बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मैंने जो पिटीशन लगाईं, उसमें मैंने ओबीसी आरक्षण या ओबीसी से संबंधित कोई बात नहीं कही थी. मैंने सिर्फ ये कहा था कि पंचायत चुनाव संवैधानिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल केस के तहत मुझे सुना. सुनवाई के दोरान एजी मध्य प्रदेश, सॉलीसीटर जनरल, शासन और इलेक्शन कमीशन भी मौजूद था. सुप्रीम कोर्ट ने मुझे सुनने के बाद इस मामले को 17 जनवरी 2022 को अंतिम सुनवाई के लिए रखा था. कोर्ट के आशय के बाद मैं चुप हो गया.

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एमपी सरकार के पास नहीं था कोई उत्तर

कोर्ट ने शासन और चुनाव आयोग को कहा कि आप गैर कानूनी तरीके से चुनाव कराके क्या हासिल करेंगे ? कोर्ट ने कहा कि मुझे गैर कानूनी लगा तो 17 जनवरी को रद्द कर दिया जाएगा. जिससे शासन का पैसा खराब होगा. जिसके बाद कोर्ट ने एमपी सरकार और चुनाव आयोग से पूछा कि महाराष्ट्र बनाम सरकार को लेकर जो निर्णय हुआ है, उसको लेकर एमपी सरकार ने क्या किया ? जिसको लेकर एमपी सरकार के पास कोई उत्तर नहीं था. जिसके बाद कोर्ट खासी नाराज हो गई और कहा कि कोर्ट के निर्णय के साथ खिलवाड़ नहीं करते. कोर्ट ने महाराष्ट्र के मामले में ट्रिपल टेस्ट की जो बात कही थी वो पंचायत चुनाव में पूरे देश में लागू होगी.

सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच वार्तालाप से मेरा कोई संबंध नहीं

विकेक तन्खा ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच इस वार्तालाप से मेरा कोई संबंध नहीं था. सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच इस संवाद में मेरी याचिका से भी कोई संबंध नहीं था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक ट्रिपल टेस्ट की व्यवस्था नहीं होती, तब तक कोई भी सरकारें पंचायत चुनाव नहीं करा सकती. सुप्रीम कोर्ट की इस आदेश से भी मेरी याचिका का कोई सम्बंध नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संवाद का मेरी याचिका से कोई संबंध नहीं रखा है. यह जानकारी राज्य सरकार को चुनाव आयोग को प्रशासन को सबको मालूम थी.

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मैंने ओबीसी के बहुत केस लड़ा हूं, आगे भी लड़ता रहूंगा

इस प्रोसिडिंग के दौरान सरकार, इलेक्शन कमीशन, एजी मध्य प्रदेश, सॉलीसिटर जनरल सब मौजूद थे. सबने देखा और सुना की मेरी याचिका से कोई संबंध नहीं था. लेकिन अगले दिन सोशल मीडिया, अखबार और टीवी चैनल पर फ्रंट न्यूज थी कि एमपी सरकार ओबीसी आरक्षण दिलाने में नाकाम है. मैं तो खुद ओबीसी महासंघ का वकील हूं. बड़े मुकदमे मैंने ओबीसी आरक्षण के लिए लड़े है. मैंने ओबीसी के बहुत केस लड़ा हूं, लड़ रहा हूं और आगे भी लड़ता रहूंगा.

सरकार के पास ओबीसी वर्ग को बताने के लिए कुछ भी नहीं था

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एमपी सरकार संकट में पड़ गई. सरकार के पास ओबीसी वर्ग को बताने के लिए कुछ भी नहीं था. इस प्रक्रिया में जो चेहरे रचनाकार थे. अपनी हार के बाद अपनी नाकामी का ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ दिया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाते मेरे खिलाफ़ मुहिम चलाई. इस षड्यंत्र में मंत्री भूपेंद्र सिंह भी शामिल थे. पूरी शाजिश के तहत पूरे देश और प्रदेश में मेरे खिलाफ़ एजेंडा चलाया. मेरी छवि को धूमिल करने और कांग्रेस को बैकपुट पर डालने के लिए झूठे तथ्य और प्रोसिडिंग के दौरान चीजों को तोड़ मरोड़कर पेश किया. मेरे खिलाफ़ एमपी के पूरे 51 जिलों से लेकर तहसील तक सुनियोजित तरीके से चलाया.

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वीडी शर्मा ने झूठे आरोप लगाए

हम कभी न्यायालय के साथ खिलवाड़ नहीं करते ना कोर्ट के आदेशों को तोड़ मरोड़कर झूठे तरीके से पेश करते है. ये केवल मेरी मानहानि नहीं बल्कि, ये पूरा हतकंडा न्यायालय प्रक्रिया को भी बदनाम करने का तरीका है. मेरी छवि को पूरे देश में धूमिल किया. किससे कारण उनको राजनैतिक फायदा लिया गया. मेरे खिलाफ़ झूठ का पुलिंदा बनाया गया. मेरे पास 23 मार्च का वीडी शर्मा का वीडियो भी है, जिसमें वो मेरे खिलाफ़ ये आरोप लगा रहे है कि मैंने कोर्ट जाकर ओबीसी आरक्षण रुकवाया. वीडी शर्मा ने वही वीडियो सोशल मीडिया पर भी डाला थे जिसे लाखों लोगों ने देखा.

सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को तोड़ मरोड़कर मेरा जजमेंट बना दिया- तन्खा

मेरे खिलाफ़ झूठ का ये प्रचार न केवल विधानसभा में उठा बल्कि, बाद में पूरे नेताओं को भोपाल बुलाकर कहा गया कि गांव गांव जाकर इस बात का प्रचार किया जाए कि विवेक तन्खा ने ना केवल पंचायत चुनाव रुकवाया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट जाकर ओबीसी आरक्षण भी रुकवाया. सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को तोड़ मरोड़कर मेरा जजमेंट बना दिया गया. मेरे खिलाफ़ झूठ के प्रचार का विस्तार इतना था कि सरकार खंडन भी नहीं कर पाई न करना चाहा.

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