बिलासपुर. हाईकोर्ट ने एक कॉन्सटेबल के रिटायरमेंट के 17 साल बाद भी सेवानिवृत्ति राशि का भुगतान न किए जाने के मामले में रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त को नोटिस जारी किया है. साथ ही 5 मई को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है.

बता दें, कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में रहने वाले रामावतार राम रेलवे सुरक्षा बल रायपुर में कॉन्सटेबल के पद पर कार्यरत थे. पारिवारिक समस्याओं की वजह से लगातार अनुपस्थित रहते थे. इस आरोप में साल 2006 में संभागीय सुरक्षा आयुक्त द्वारा उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई. 17 साल बाद भी रामावतार को सेवानिवृत्ति देयक राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो उन्होंने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और दुर्गा मेहर के जरिए से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की. मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट के सामने ये तर्क प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता की वर्ष 1979 में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स कॉन्स्टेबल के पद पर प्रथम नियुक्ति हुई थी. उनके द्वारा 26 वर्ष तक विभाग में सेवा दी गई. अतः अनिवार्य सेवानिवृत्ति के बावजूद भी वे समस्त सेवानिवृत्ति देयक के पात्र हैं. चूंकि याचिकाकर्ता वर्ष 2005 में सेवा से रिटायर हैं लेकिन रिटायमेन्ट दिनांक से 17 (सत्रह) वर्ष की समयावधि बीत जाने के बावजूद भी उन्हें सेवानिवृत्ति देयक का भुगतान नहीं किया गया है.

CG BREAKING: High Court dismisses
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हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में उत्तरवादीगणों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. लेकिन 1 साल की समयावधि बीत जाने के बाद भी याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण, जीपीएफ, जीआईएस और पे स्केल का एरियर्स का भुगतान नहीं किया गया. जिस पर हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय द्वारा नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्य सुरक्षा आयुक्त (रेल्वे), रायपुर को 5 मई को हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है.