रायपुर: आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने छत्तीसगढ़ BJP को सकते में डाल दिया है. साय ने आदिवासी वोट बैंक पर तगड़ी चोट पहुंचाई है. साय के फैसले से छत्तीसगढ़ बीजेपी डगमगा उठी है. बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने इस्तीफे के बाद साय से मिलने के लिए घंटं इंतजार करते रहे, लेकिन मायूसी हाथ लगी. इन सबके बीच आखिरकार नंदकुमार साय ने भाजपा को अलविदा कह कांग्रेस का दामन थाम लिया. CM भूपेश बघेल औप PCC चीफ मोहन मरकाम ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. इस दौरान साय और ‘नमक’ की कहानी को लेकर जमकर ठहाके लगे.

क्या है साय और ‘नमक’ की इनसाइड स्टोरी ?

दरअसल, कांग्रेस भवन में नंदकुमार साय को कांग्रेसी सदस्यता दिला रहे थे. इश दौरान सीएम भूपेश बघेल संबोधित कर रहे थे, जहां सीएम भूपेश बघेल आदिवासियों के लिए नंदकुमार साय की तपस्या, मेहनत और लगन की बखान कर रहे थे, जहां सीएम भूपेश बघेल कहते हैं कि उनकी सादगी के बारे में ये कहना चाहूंगा. वे नमक तक नहीं खाते. अनाज तो खाते हैं, लेकिन नमक नहीं खाते. वहीं नेताओं की आवाज आती है..किसी का नमक नहीं खाते…और सभी नेता खिल-खिलाकर हंस पड़ते हैं.

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‘नमक नहीं खाते तो किसी का खाने…’

सीएम भूपेश बघेल आगे कहते हैं कि नमक नहीं खाते तो किसी का खाने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने बहुत सादगीपूर्ण जीवन जिया. उन्होंने आदिवासियों की सेवा की. उन्होंने हमेशा गरीबों के लिए लड़ा. इसके साथ ही सरकार और आदिवासियों के लिए कामकाजों की तारीफ करते नजर आए.

क्यों नमक नहीं खाते नंदकुमार साय ?

बता दें कि 1970 के दशक में जब नंदकुमार साय ने छात्र संघ से राजनीति में प्रवेश किया तो वे गांव-गांव में चौपाल लगाते थे. साय जशपुर के इलाके में एक पढ़े-लिखे नेता के नाम से मशहूर थे. इसलिए वह आदिवासियों को नशे से मुक्ति का रास्ता दिखाने के लिए शराब छोड़ो अभियान चलाते थे.

क्या आप नमक छोड़ सकते हैं ?

इसी बीच एक गांव में एक ग्रामीण ने नंदकुमार से कहा कि आदिवासियों के लिए शराब उतनी ही जरूरी है, जितनी खाने में नमक, क्या आप नमक छोड़ सकते हैं? इसके तुरंत बाद नंदकुमार साय ने नमक त्यागने का संकल्प लिया और आज तक नमक को हाथ तक नहीं लगाया.

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