रायपुर. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दो दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे. चिंतन शिविर के दूसरे दिन के समापन अवसर उन्होंने कहा कि भारत के समस्त जनजातीय समाज की दृष्टि विशुद्ध रूप से पर्यावरणीय दृष्टि है जिसमें पर्यावरण व समाज की चिंता शामिल है. उन्होंने ये भी कहा कि समाज में समय-समय पर परिस्थितियों में बदलाव आना स्वाभाविक प्रक्रिया है पर हम सभी को समाज में प्रेम और अपनत्व की भावना से सामाजिक समानता और समरसता की प्रयास करने की जरुरत है.
भैय्या जी जोशी ने कहा कि जनजाति समाज में महिला नेतृत्व और युवा नेतृत्व को खड़ा करना होगा. जिससे समाज के सभी वर्ग के युवाओं और महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए सर्वांगीण विकास की दिशा में कार्य किया जा सके. आज पूरे दिन चले इस सत्र के दौरान जनजाति समाज में आदिवासियों को, समाज के युवाओं को, महिलाओं को योजनाओं की लाभ देने पर चर्चा किया गया.
इस कार्यशाला में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरॉव, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, भागैया जी व डॉ. कृष्ण गोपाल जी, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, केंद्रीय जनजाति कार्यमंत्री जोएल उरॉव, केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत, राष्ट्रीय जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नन्द कुमार साय, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र यादव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत, भाजपा जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविचार नेताम, राष्ट्रीय जनजाति आयोग की सदस्य अनुसूइया उइके, छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री जे. आर. राणा, छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष विकास मरकाम प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.
इसके साथ ही जनजाति क्षत्रों में कार्य करने वाले प्रमुख संगठन अखिल भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिन्दू परिषद्, अधिवक्ता परिषद के प्रमुख पदाधिकारीगण भी उपस्थित रहे. इस दो दिवसीय समग्र चिंतन शिविर में पूरे देश भर के जनजाति समाज के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करने वाले एैसे 140 चिंतक और सामाजिक नेतृत्वकर्ता और कार्यकर्ता भी भाग लिए. इसकी जानकारी चिंतन शिविर के संयोजक हर्ष चौहान ने दी है.