World Asthma Day: दमा या अस्थमा से पीड़ित लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए मई महीने के पहले मंगलवार को ‘विश्व अस्थमा दिवस’ मनाया जाता है. इस साल यह दिन 2 मई को मनाया जा रहा है. अस्थमा एक श्वसन विकार है. इस विकार में हमें अक्सर सांस लेने में परेशानी होती है.
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अस्थमा (Asthma) की यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है. दमे के मरीज का एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी चिकित्सा और घरेलू उपचार किया जाता है. लेकिन ऐसी कहावत है दमा दम के साथ ही जाता है. अर्थात दमा रोग को खत्म करना संभव नहीं है. हां रोग की तीव्रता कम की जा सकती है. इन्हीं में से एक इलाज जो शरद पूर्णिमा की रात को खीर में जड़ी-बूटी मिलाकर दमा रोगियों को दिया जाता है.
यह आस्था विश्वास और जड़ी-बूटी के साथ परहेज का परिणाम होता है कि हर साल लाखों, करोड़ों मरीज इस खीर का सेवन करते हैं. देशभर में शरद पूर्णिमा की खीर जगह-जगह मिल जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में शरद पूर्णिमा की खीर पाने के लिए पांच राज्यों के दमा मरीज आते हैं.
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छत्तीसगढ़ में खिलाई जाती है अस्थमा को दूर भगाने वाली अमृत खीर (World Asthma Day)
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर में दमा और अस्थमा को दूर भगाने वाली अमृत खीर का वितरण हर साल शरद पूर्णिमा की रात में किया जाता है. छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कोलकाता और उत्तर प्रदेश के हजारों लोग अमृत चखने हर साल यहां पहुंचते हैं. बर्फानी सेवा श्रम समिति द्वारा बीते 26 वर्षों से यह कार्यक्रम किया जा रहा है. साल दर साल यहां बीमारी दूर करने वाली खीर का स्वाद चखने वालों की संख्या बढ़ रही है. औषधीय गुणों वाली खीर प्रसाद के रूप में लोगों को रात दो बजे से सुबह तक दी जाती हैं.
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प्रसाद ग्रहण के बाद Asthma को दूर भगाने मरीजों को करना पड़ता है ये परहेज
बर्फानी सेवा श्रम समिति के कार्यकर्ताओं ने बताया कि भारी भीड़ के लिए खीर का प्रसाद तैयार कराना बड़ी चुनौतीपूर्ण होती है. वर्ष 1997 में अमरकंटक के बर्फानी दादा के सान्निध्य में उनके शिष्य स्वर्गीय कांशीप्रसाद पांडेय के संयोजन में इसकी शुरूआत हुई थी. यहां प्रसाद ग्रहण करने आने वालों को पखवाड़ेभर तक खटाई, मुनगा और बैंगन की सब्जी नहीं खाने का परहेज करना होता है. साथ ही प्रसाद ग्रहण करने के पहले और बाद में कम से कम चार-चार घंटे तक नींद लेने की मनाही होती है.
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