रायपुर. राजधानी के साइंस काॅलेज मैदान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मितानिनों का आभार सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें सीएम भूपेश बघेल शामिल हुए. उन्होंने उत्कृष्ट कार्य के लिए 6 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और 5 मितानिनों का सम्मान किया. कार्यक्रम में सीएम ने बड़ी घोषणाएं की. प्रदेश में 5000 आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण किया जाएगा. प्रदेशभर में 14 नवंबर को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका का सम्मान किया जाएगा. सक्षम योजना के अंतर्गत 1 लाख वार्षिक आय की सीमा को बढ़ाकर दो लाख किया जाएगा. महिला स्व सहायता समूह को अधिकतम 4 लाख ऋण की सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रूपए किया जाएगा.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम बघेल ने सभी आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और मितानिनों को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा, हमारी बहने जहां भी मिलती थी, कहती थी धन्यवाद देना चाहते हैं. आज वो समय आ गया, हजारों की तादाद में हमारी बहने मेरा आभार व्यक्त करने आई है, मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं. पहला ऐसा कार्यक्रम है, जहां पुरुषों की संख्या कम है, हर तरफ मातृशक्ति दिख रही.
सीएम ने कहा, जिन परिस्थितियों में महिलाएं काम करती है, घर की आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर घर चलाती है. आभार हमारा नही, आपका है. पौने 3 करोड़ जनता की तरफ से आप सभी का आभार. आपका काम मानवता की सेवा है. कोरोना के समय मितानिन, कार्यकर्ता, सहायिका ने सेवा भाव से काम किया उसका कोई दूसरा मिशाल नहीं हो सकता. कुपोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. जब हम सरकार में आये थे, कुपोषण की दर हमारे यहां अधिक था, अब कुपोषण का दर घट चुका है, इस पर अभी और काम करना है.
सीएम बघेल ने कहा, आज छतीसगढ़ में मलेरिया और उल्टी दस्त से किसी की मौत नहीं होती. मितानिन बहनों ने घर घर जाकर इस अभियान पर काम किया है. मलेरिया मुक्त बस्तर से मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान में हमनें काम किया. कोशिश ये रहेगी सभी की आय में वृद्धि होनी चाहिए. शासकीय कर्मचारियों के लिए हमने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया. श्रमिक भाईयों के लिए सलाना 7000 देने की शुरुआत की. मजदूर, शासकीय कर्मचारी, अधिकारी, किसान, स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बहने सभी खुश रहे. हमारी बहनों की वजह से कुपोषण 37 फीसदी से घटकर 31 फीसदी हो गया है.
उन्होंने कहा, प्रारंक्षिक शिक्षा और प्रारंभिक स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती है, जिसमें आप बहनों के सहयोग की अपेक्षा होगी. जिस प्रकार से कुपोषण के खिलाफ आपने लड़ाई लड़ी उसी प्रकार से हमने मलेरिया के खिलाफ संघर्ष किया है. छत्तीसगढ़ में कभी लिंग भेद नहीं रहा और केरल के बाद हमारा प्रदेश दूसरे स्थान पर है. यहां कभी भी बेटियों को बोझ नहीं समझा गया. आज महिलाएं घर की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में लगी हुई है.
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