Geoffrey Hinton का नाम आपने शायद ना सुना हो, लेकिन AI की दुनिया में उन्हें गॉडफादर कहते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में Geoffrey Hinton के नाम की खूब चर्चा रहती है. हिंटन ने 75 साल की उम्र में Google से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही उन्होंने AI को लेकर बढ़ रहे कुछ खतरों से भी सावधान किया है.
हालांकि उनका गूगल से इस्तीफा देना उतनी बड़ी चर्चा की बात नहीं बनता, जितनी चर्चा Geoffrey Hinton के इस्तीफा देते समय AI के खतरों को लेकर दी गई चेतावनी के कारण हो रही है. दरअसल हिंटन को डर है कि AI आने वाले समय में इंसानों पर भारी पड़ सकती है, जिसके चलते बहुत सारे डरावने हालात पैदा हो सकते हैं. उनके डर से ये सवाल खड़ा हो गया है कि सालों पहले आई हॉलीवुड फिल्म टर्मिनेटर में AI के इंसानों पर हावी हो जाने का जो खतरा दिखाया गया था, क्या हमारा भविष्य वैसा ही होने जा रहा है?
इंसानों की समझदारी भी एआई के आगे हो जाएगी फेल
गूगल से इस्तीफा देने के बाद Geoffrey Hinton एआई टेक्नोलॉजी को लेकर तरह-तरह की बातें कह रहे हैं. उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि एआई टेक्नोलॉजी वर्तमान में इंसानों से ज्यादा बेहतर और समझदार तो नहीं है, लेकिन भविष्य में यह टेक्नोलॉजी इंसानों की समझदारी को अपने आगे फेल कर सकती है. बता दें Geoffrey Hinton एक लंबे समय से टेक कंपनी गूगल का हिस्सा रहे हैं. वह 10 सालों से ज्यादा समय तक कंपनी में अपनी सर्विस दे चुके हैं.
हिंटन ने कहा कि मैं खुद को दिलासा देता हूं कि अगर मैंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर काम नहीं किया होता, तो कोई और करता. लेकिन चिंता की बात ये है कि इस तकनीक को हम गलत या बुरे लोगों के हाथों में जा ने से कैसे रोक सकते हैं. हिंटन ने चेताया कि एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को रोकना असंभव हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप इतनी नकली इमेज और टेक्स्ट वाली दुनिया होगी कि ये बता पाना भी मुश्किल हो जाएगा कि क्या सच है और क्या झूठ. ये स्थिति बहुत भयानक हो सकती है.
AI के गॉडफादर हैं हिंटन
डॉ. ज्योफ्री हिंटन ने ही डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क पर काफी शोध किए हैं जो वर्तमान में ChagGPT और अन्य AI सिस्टम के लिए एक आसान रास्ता बने. ब्रिटिश कनाडाई साइकोलॉजिक और कंप्यूटर साइंटिस्ट डॉ. हिटन के मुताबिक जल्द ही चैट बॉट मानव मष्तिष्क से ज्यादा जानकारी रखने की सीमा पार कर लेगा.
वर्तमान में देखें तो GPT-4 इंसानी दिमाग से ज्यादा सामान्य ज्ञान ग्रहण कर लेता है. अभी तक ये प्रभावी तर्क करने में सक्षम नहीं है, लेकिन छोटे तर्क ये अभी भी कर रहा है. इसके विकास को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि चीजें काफी तेजी से बदलेंगी. इसीलिए हमें इस बारे में चिंता करने की जरूरत है. ये जिक्र करना आवश्यक है कि डॉ. ज्योफ्री हिंटन न्यूरल नेटवर्क पर रिसर्च के लिए कंप्यूटिंग के क्षेत्र का नोबेल प्राइज भी पा चुके हैं.
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