जितेंद्र सिन्हा, राजिम. खर्चीली शादियों के एक से बढ़कर एक किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे, फिर चाहे आसमान में जाकर शादी रचाने की बात हो या बीच समुंदर में सात फेरे लेने की. ऐसे शादियों के बारे में आपको हजारों किस्से सुनने को मिल जाएंगे, मगर आज हम आपको खर्च कम करने की प्रेरणा देने वाली शादी के बारे में बताने जा रहे हैं.

फूल मालाओं और गुबारों से सजी ये बैलगाड़ियां गरियाबंद में चर्चा का विषय बनी हुई है. हर किसी की जुबान पर इन बैलगाड़ियों का जिक्र हो रहा है. हो भी क्यो ना, एक इंजीनियरिंग पास लड़का बरातियों के साथ इन्ही बैलगाड़ियों में बैठकर अपनी दुल्हन लाने जो निकला है. दूल्हा बने उमाकांत साहू ने कहा कि अपनी पुरानी परम्पराएं वापस लाने के मकसद से उन्होंने बैलगाड़ी में बारात निकालने का फैसला लिया है. शादी में खर्च कम करने का संदेश देने और बेटे की भावनाओं का कद्र करते हुए पिता कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भावसिंग साहू ने भी पुरानी संस्कृति और परंपरा को निभाते हुए बेटे का बारात बैलगाड़ी से ही जाने का फैसला लिया.

लोगों ने समाज के लिए बताया प्रेरणादायक

बारात के दौरान क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू बैलगाड़ी में सवार होकर सारथी की तरह बैलों को हाकते नजर आए. फिंगेश्वर के ग्राम टेका से तीन किमी दूर ग्राम कपसीडीह के लिए निकली बारात में भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ स्थानीय नेताओं ने भी शिरकत की. क्षेत्र के लोगों ने भी इस बारात में बाराती बनकर हिस्सा लिया. दूल्हे और दूसरे मेहमानों के साथ वे भी बैलगाड़ियों में सवार होकर बारात में पहुंचे. दोस्तो ने बैलगाड़ी की सवारी का लुफ्त उठाया तो नेताओं ने इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया.

फिजूल खर्च रोकने का दिया संदेश

शानोशौकत दिखाने के चक्कर में शादियां कितनी खर्चीली हो चुकी है, यह बताने की जरूरत नहीं है. हां यह बताना जरूरी है कि गरीब परिवारों के लिए ऐसी शादियां नहीं कर पाने के कारण बेटियां बोझ बनने लगी है. उमाकांत साहू की यह छोटी सी पहल ऐसे परिवारों और युवाओं के लिए एक नई सोच और रास्ता दिखाने का काम जरूर कर सकती है.

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