अजय शर्मा,भोपाल। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. भोपाल में क्षत्रिय राजपूत समाज ने कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है. क्षत्रिय राजपूत समाज ने नारेबाजी करते हुए उन पर कार्रवाई की मांग की है.
दरअसल क्षत्रिय राजपूत समाज के बैनर तले राजधानी के हबीबगंज थाने पहुंचे. क्षत्रियों ने हबीबगंज थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा. उनका कहना है कि कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के साथ ही क्षत्रिय और ब्राह्मणों के बीच अराजकता फैलाते हुए आपस में दंगा भड़काने और समाज को बदनाम करने का काम किया है. उनकी इस करतूत से पूरे क्षत्रियों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
अपराध दर्ज कर गिरफ्तार किए जाने की मांग
पुलिस को उनके खिलाफ धारा 153 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करते हुए गिरफ्तार करना चाहिए. समाज के पदाधिकारी चंदन सिंह सूरमा और बहादुर सिंह तोमर ने कहा कि अगर अपने किए पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने माफी नहीं मांगी, तो राजपूत समाज उग्र आंदोलन करने के साथ ही उनकी कथा का भी विरोध करेगा.
धीरेंद्र शास्त्री ने दिया था यह बयान, जिस पर मचा बवाल
बता दें कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था कि यहां पर बहुत से बुद्धि और तर्क के लोग ब्राह्मण और क्षत्रियों में आपस में टकराने के लिए उपाय करते रहते हैं. कहा जाता है कि 21 बार क्षत्रियों से भूमि विहिन कर दी गई थी. बात मजाक और हंसी की यह है कि अगर एक बार क्षत्रियों को मार दिया गया तो 20 बार क्षत्रिय कहां से आए ? 21वीं बार की जरूरत क्यों पड़ी ? ये क्षत्रिय अचानक से प्रकट कहां से हो जाते थे ? सहस्रबाहु जिस वंश से था, उस वंश का नाम था हैहयवंश. हैहयवंश के विनाश के लिए भगवान परशुराम ने फरसा अपने हाथ में उठाया था. हैहयवंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला, स्त्रियों से बलात्कार करने वाला था. जितने भी क्षत्रिय वंश के राजा थे, ऐसे अत्याचारियों के खिलाफ ही भगवान परशुराम ने फरसा उठाया था.
शास्त्रों में कहा है कि साधु का काम ही है कि दुष्टों को ठिकाने लगाते रहना. इस वजह से उन्होंने हैहयवंश के राजाओं को मारना प्रारंभ किया. उन्होंने शास्त्र की मर्यादाओं का पालन करते हुए कभी भी न तो स्त्रियों पर फरसा उठाया और न बच्चों पर. ये बच्चे युवा हुए और उन्होंने भी अत्याचार प्रारंभ किया. उन्होंने भी अपने पिता का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम पर आक्रमण किया. इसके बाद भगवान परशुराम ने उन अताताइयों का वध किया. उनकी भी संतानें थीं, उनका भी वध किया. इस तरह 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहिन किया.
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