नई दिल्ली. देश की सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में दिव्यांगजनों की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ई-रिक्शा के त्वरित पंजीकरण और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नए नियम लागू कर दिए हैं.
नए नियमों में दिव्यांगजन दोनों हाथ अथवा दोनों पैर नहीं होने की स्थिति में ई-रिक्शा व ई-कार्ट चला सकेंगे. इतना ही नहीं, दिव्यांग का डीएल नहीं बनाने पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) को राज्य के परिवहन आयुक्त को सूचित करना होगा.
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने दो मई को सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों (परिवहन) और परिवहन आयुक्तों को दिव्यांगजनों को ई-रिक्शा व ई-कार्ट के त्वरितर पंजीकरण व डीएल बनाने संबंधी नए नियम और परामर्श जारी कर दिया है.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिव्यांगजनों के लिए निजी अथवा कॉमर्शिय वाहन चलाने पर प्रतिबंध हैं. आशिंक दिव्यांग को कुछ शर्तों और डॉक्टर की जांच के बाद डीएल दिए जाते हैं, पर ई-रिक्शा व ई-कार्ट कम रफ्तार पर चलते हैं , इसलिए डीएल के नियमों में बदलाव किया है.
नए नियम में किसी दिव्यांग के आंशिक अथवा एक हाथ, एक पैर नहीं होने पर डीएल जारी किया जाएगा. आंशिक अथवा दोनों हाथ अथवा दोनों पैर नहीं होने पर डीएल नहीं बनेगा, जबकि विशेष हालात में डीएल बनाया जाएगा. इसमें मॉडीफाई ई-रिक्शा और डॉक्टर की जांच शामिल होगी. छोटे कद, रीढ़ की विकलांग व्यक्ति का भी डीएल बनेगा. सीएमवीआर, 1989 के नियम 8ए के तहत निवार्य किया गया है कि ई- रिक्शा या ई- कार्ट के डीएल के लिए आवेदक को कम से कम 10 दिनों के प्रशिक्षण लेना होगा.