दिल्ली के निजामुद्दीन से भोपाल के लिए वंदे भारत ट्रेन ने रेलवे के दो डिवीजन को आमने-सामने ला दिया है. दिल्ली और आगरा डिवीजन के बीच क्रू की तैनाती के मुद्दे पर मतभेद चल रहा है.
हर दिन, दोनों डिवीजन अपने गार्ड को ट्रेन की निगरानी के लिए तैनात करते हैं – आगरा द्वारा प्रतिनियुक्त एक व्यक्ति अपना काम करने के लिए आगरा से निजामुद्दीन तक रोजाना यात्रा करता है, लेकिन उसी ट्रेन से एक यात्री के रूप में लौटता है और उसे गार्ड के केबिन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होती है.
ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (एआईजीसी) के जॉइंट सेक्रेट्री अरुण कुमार ने कहा, ‘हर दिन 1:30 am पर, वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से तैयार किए जाने वाले रोस्टर के मुताबिक, एक गार्ड ट्रेन में आगरा में सवार होता है और निजामुद्दीन तक जाता है. वह वहां आराम करता है और 2:40 पर वापसी के दौरान ट्रेन को सुपरवाइज करने के लिए तैयार होता है. लेकिन उसे गार्ड केबिन में प्रवेश नहीं दिया जाता है और इसलिए एक यात्री के रूप में लौटना पड़ता है.’
अपनी कुल यात्रा के 710 किलोमीटर में, निजामुद्दीन से शुरू होने वाली ट्रेन, तीन रेलवे क्षेत्रों में चार रेलवे डिवीजनों को कवर करती है – उत्तर रेलवे (एनआर) में दिल्ली डिवीजन, उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) में आगरा और झांसी और पश्चिम मध्य में भोपाल. जोन (WCR)–भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर रात 10.10 बजे पहुंचना है.
ये है आरोप..
संयुक्त सचिव अरुण कुमार ने आरोप लगाया है कि ‘दिल्ली मंडल ने आगरा मंडल के चालक को ट्रेन चलाने की अनुमति दी है, लेकिन वे आगरा के गार्ड को अनुमति नहीं दे रहे हैं.’ इस मामले में आगरा के मंडल रेल प्रबंधक आनंद स्वरूप ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. हालांकि, एनआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) दीपक कुमार ने कहा कि उन्होंने डीआरएम, दिल्ली को इस मामले को देखने और आगरा के साथ इसे सुलझाने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि ‘नियम बहुत स्पष्ट है कि जहां से ट्रेन शुरू होगी वहां के चालक दल इसका संचालन करेंगे. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि इसे लेकर भ्रम की स्थिति होनी चाहिए.’