तिरुवनंतपुरम। केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हिंदी फिल्म, द केरल स्टोरी की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. फिल्म का टीज़र और ट्रेलर देखने के बाद जस्टिस एन नागरेश और सोफी थॉमस की खंडपीठ ने कहा कि इसमें इस्लाम या मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नहीं है, लेकिन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) के बारे में है.

बता दें कि ‘द केरल स्टोरी’ की रिलीज को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं पर केरल हाई कोर्ट विचार कर रहा था. याचिकाओं में दावा किया गया है कि केरल में महिलाओं के आईएसआईएस में शामिल होने के बारे में बनी फिल्म तथ्यों पर आधारित नहीं है, और इससे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा होगी. 2 मई को कोर्ट ने कहा था कि ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्मों के खिलाफ याचिकाएं ऐसी फिल्मों को अनावश्यक पब्लिसिटी देंगी.

पीठ ने टिप्पणी की कि धर्म के खिलाफ कोई आरोप नहीं है. आरोप आईएसआईएस के खिलाफ है. इसके साथ ही अदालत ने अपने आदेश में कहा कि फिल्म के ट्रेलर के माध्यम से, हम पाते हैं कि इसमें किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. किसी भी याचिकाकर्ता ने फिल्म नहीं देखी है.

Kerala High Court

पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि ऐसी कई फिल्में हैं जिनमें हिंदू सन्यासियों को तस्कर या बलात्कारी के रूप में दिखाया गया है लेकिन इसका कोई प्रतिकूल परिणाम नहीं हुआ है. जस्टिस नागेश ने कहा, “ऐसी कई फिल्में हैं जिनमें हिंदू संन्यासियों को तस्कर या बलात्कारी के रूप में दिखाया गया है. कुछ नहीं होता, कोई विरोध नहीं करता. ऐसी कई हिंदी और मलयालम फिल्में हैं.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि केवल इसलिए कि एक गलत की अनुमति दी गई है, दूसरे को नहीं होना चाहिए. पीठ ने कहा कि आप अंतिम समय पर आए हैं. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जॉर्ज पूनथोट्टम ने भी कहा कि फिल्म का विषय यह है कि केरल आईएसआईएस का केंद्र है. उन्होंने कहा कि विषय यह है कि केरल आईएसआईएस की सभी गतिविधियों का केंद्र है.

पीठ ने जवाब दिया कि हमें सच्चाई में जाने की जरूरत नहीं है. यह कल्पना है! केवल इसलिए कि कुछ धार्मिक प्रमुख को खराब रोशनी में दिखाया गया है, फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का कोई कारण नहीं है. यह लंबे समय से हिंदी और मलयालम फिल्मों में हो रहा है. एडवोकेट कलेश्वरम राज ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के जवाबी हलफनामे में खुद कहा गया है कि फिल्म का ट्रेलर और टीजर उसके द्वारा प्रमाणन के अधीन नहीं थे. इसलिए उन्होंने जोर देकर कहा कि अदालत को पूरी फिल्म देखनी चाहिए और फिर फैसला लेना चाहिए.

कोर्ट ने सभी पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इसके अलावा यह नोट किया गया कि सीबीएफसी ने फिल्म की जांच की है, और इसे सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपयुक्त पाया है. अदालत ने निर्देश दिया कि बोर्ड ने फिल्म पर विचार किया और उसकी जांच की. डिप्टी सॉलिसिटर जनरल के बयान से, निर्माताओं ने एक डिस्क्लेमर प्रकाशित किया है कि फिल्म काल्पनिक और नाटकीय है. हम फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने के इच्छुक नहीं हैं.

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