प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की खंडपीठ ने कहा कि एक घोषित भगोड़ा अपराधी को सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने से मना नहीं किया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने कहा कि न तो धारा 82 सीआरपीसी और न ही धारा 438 सीआरपीसी घोषित (भगोड़े) अपराधियों द्वारा अग्रिम जमानत आवेदन दाखिल करने पर कोई प्रतिबंध लगाती है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरोपी उदित आर्य को अग्रिम जमानत दे दी. जिस पर अपनी पत्नी की दहेज हत्या के आरोप में आईपीसी की धारा 498-ए, 304-बी व 3/4 DP एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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मामला मेरठ के गंगानगर थाने का है, जहां पिता ने अपने दामाद पर दहेज हत्या का आरोप लगाया था और 2021 में FIR दर्ज कराई थी. उक्त मामले में आरोपी फरार चल रहा था, अदालत ने कहा कि फरारी की उद्घोषणा होना मात्र किसी व्यक्ति को अग्रिम जमानत से वंचित नहीं कर सकता.

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