अगर आप कोई कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं, ऊपर से डीजल कार खरीदने चाह रहे हैं तो जरा रुक जाइये. कहीं ऐसा न हो कि आप अधिक माइलेज के चक्कर में डीजल कार खरीदकर घर ले आएं और वह कार घर में खड़े खड़े सड़ जाए. तेल मंत्रालय के एक पैनल ने प्रस्ताव दिया है कि भारत को 2027 तक देश भर के सभी प्रमुख शहरों में डीजल से चलने वाले चार-पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. यह प्रस्ताव देश में क्लीन मोबिलिटी सॉल्यूशंस को बढ़ावा देने के लिए आया है. समाचार एजेंसी के मुताबिक पैनल ने उन शहरों में प्योर इलेक्ट्रिक और गैस-ईंधन वाले वाहनों पर स्विच करने के पक्ष में वकालत की है, जहां 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं.

क्या है प्रस्ताव

केंद्र सरकार इस समय प्रदूषण कम करने पर ज्यादा काम कर रही है। इसी क्रम में सरकार ने बीते 1 अप्रैल को देश में नए रियल ड्राइविंग इमिशन (RDE) BS6 फेज-2 नॉर्म्स को लागू कर दिया है. अब खबर आई है कि साल 2027 तक डीजल से चलने वाले सभी 4-व्हीलर वाहनों को पूरी तरह से बंद करने का प्रस्ताव रखा गया है. यह फैसला सिर्फ बड़े शहरों में ही लागू करने का प्रस्ताव है. न्यूज एजेंसी रायटर्स (Reuters) के मुताबिक, केंद्रीय पेट्रेालियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Oil Ministry) के एक पैनल ने इस तरह की सिफारिश की है. उसने भारत सरकार के सामने 4 साल बाद यानी कि 2027 तक डीजल से चलने वाले 4-व्हीलर व्हीकल्स को पूरी तरह से बंद करने का प्रस्ताव रखा है. माना जा रहा है कि इससे पोल्यूशन को कम करने में बड़ी मदद मिलेगी.

बता दें कि इस समय भारत में रिफाइंड ईंधन खपत का लगभग पांच में से दो हिस्सा डीजल की खपत का है, जिसका 80 प्रतिशत परिवहन क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है. देश में कमर्शियल वाहनों का बेड़ा मुख्य रूप से डीजल पर चलता है, यात्री वाहनों का एक बड़ा हिस्सा भी इसी ईंधन का इस्तेमाल करता है.

अब देखना ये होगा कि केंद्र सकार इस पैनल के प्रस्वात पर क्या फैसला लेती है. अगर इस पर अपनी मुहर लगा देती है तो कंपनियों के साथ साथ उन ग्राहकों के लिए बड़ा झटका है, जिनके पास डीजल कार है. वहीं, टाटा मोटर्स सहित कई ऑटोमेकर कंपनियां मौजूदा समय डीजल कारों का निर्माण कर रही हैं,जो कि उनके के लिए भी खतरे की घंटी है.