आज के इस दौर में बच्चों को Diaper पहनाने का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया है. नवजात बच्चे को शुरुआत से ही डायपर पहनाया जाने लगा हैं. जबकि पहले के समय में मां-बाप छोटे बच्चों काे सूती कपड़े के घर पर बने नैपी पैड पहनाया करते थे. हालांकि इनको बार-बार बदलना पड़ता था. इसी परेशानी को देखते हुए आजकल Diaper की सुविधा को अपनाया जाता हैं. कुछ पेरेंट्स तो ऐसे भी होते हैं पूरे दिन और पूरी रात बच्चे को डायपर में ही रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि Diaper की यह सुविधा बच्चों के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं.
खासकर गर्मी के इन दिनों में बच्चें को इंफेक्शन का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपनी मेहनत बचाने और आसान उपायों को ढूढ़ने के चक्कर में आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न करें. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह Diaper के साइड इफेक्ट बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. Read More – Adipurush : Trailer लॉन्च से पहले साथ नजर आए Prabhas-Kriti Sanon, फिर से रिलेशनशिप की खबरों ने पकड़ा तुल …
इंफेक्शन हो सकता है
बच्चों की स्किन बड़ों की तुलना में काफी सेंसटिव होती है. ज्यादा लंबे समय तक डायपर के इस्तेमाल से इंफेक्शन होने की सम्भावना बनी रहती है. दरअसल, Diaper में कई तरह के कैमिक्लस होते हैं. साथ ही प्लास्टिक की एक तह भी होती है, जो गीलापन तो महसूस नहीं होने देती है लेकिन हवा पास न होने की वजह से ये इंफेक्शन की वजह बन सकती है.
स्किन रैशेज
लंबे समय तक गीले गंदे डायपर में रहने से Diaper में बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं, जो त्वचा पर रैशेज और छाले पैदा कर सकते हैं. ऐसे में बच्चे को रैशेज से बचाने के लिए समय-समय पर बच्चे का डायपर बदलती रहें और उसकी साफ सफाई का भी ध्यान रखें.
बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग देने में परेशानी
अपने बच्चे को हर समय डायपर पहनाए रखने से आपको उसे टॉयलेट ट्रेनिंग देने से परेशानी हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों को Diaper में सुसु और पॉटी करने की आदत पड़ जाती है और पैरेंट के लिए भी यह सुविधाजनक होता है, हालांकि, बाद में जब आप अपने बच्चे को पॉटी कराने की कोशिश करती हैं, तो बच्चा रोता है, परेशान करता है. वैसे अच्छा यही होता है कि बच्चे को जल्दी ही टॉयलेट ट्रेनिंग देना शुरू कर दें. Read More – Tea Lovers : अगर आप भी घर में पीना चाहते हैं टेस्टी चाय, तो ऐसे करें अदरक का इस्तेमाल, यहां जानें बनाने का सही तरीका …
बन सकता है मेल इनफर्टिलिटी का कारण
वैज्ञानिक बताते हैं कि डायपर का लगातार इस्तेमाल मेल इन्फर्टिलिटी यहां तक कि वृषण कैंसर का भी कारण बन सकता है. अमेरिका के पीडियाट्रिक्स जर्नल के अनुसार, आमतौर पर Diaper को हर 2-3 घंटे में बदल देना चाहिए. बच्चे को डायपर में कई घंटों तक लगातार नहीं रहने दें. डायपर गीला महसूस हो, तो बदल दें. यदि बच्चे को पॉटी हो गई है, तो डायपर को तुरंत बदल देना चाहिए. नया Diaper पहनाने से पहले बच्चे को हर बार साफ करना चाहिए. स्टडी के अनुसार, बच्चों की समस्या तब और बढ़ जाती है जब जरूरत से कम बार बच्चे का डायपर बदला जाता है.
एलर्जिक रिएक्शन
Diaper बनाने वाली कुछ कंपनियां इसे बनाते समय सिंथेटिक फाइबर, डाइज और केमिकल प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं. ये सभी हार्श केमिकल आपके बच्चे की नाजुक-कोमल त्वचा को नुकसान पहुचाकर उसे एलर्जी की समस्या दे सकते हैं. ऐसे में डायपर का चुनाव करते समय हमेशा सॉफ्ट और स्किन फ्रेंडली मटेरियल से बने डायपर को चुनें.
टॉक्सिटी का कारण बन सकता है
डायपर केमिकल्स और सिंथेटिक चीजों से बनाए जाते हैं. शिशु को अधिक समय तक डायपर पहनाएं रखने से उन्हें नुकसान हो सकता है. कई लोग एक दिन में आठ से दस Diaper का इस्तेमाल करते हैं. खासकर रात को बार-बार उठने और बिस्तर गीला होने से बचने के लिए आप बच्चे को रातभर Diaper पहनाकर रखते हैं. इन कारणों से बच्चे की स्किन लंबे समय तक केमिकल्स के संपर्क में रहती है और इससे बच्चे के शरीर पर नुकसान हो सकता है. इससे शरीर में टॉक्सिटी बढ़ सकती है.
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