रायपुर. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आलोक कुमार अग्रवाल के प्रकरण में एसीबी के अधिकारियों के विरूद्ध दर्ज एफआईआर में जांच जारी रखने के आदेश दिए हैं. मंगलवार को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर ने एंटी करप्शन ब्यूरो के पूर्व पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह एवं अन्य की याचिका रिट पीटिशन में पूर्व में पारित आदेश के तहत लगाई गई रोक को हटाते हुए जांच जारी रखने का आदेश दिया है. इस संबंध में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में शिकायतकर्ता पवन अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी एवं अधिवक्ता श्रेयांश अग्रवाल ने पक्ष रखा.

उल्लेखनीय है कि बिलासपुर निवासी पवन कुमार अग्रवाल ने एसीबी के तत्कालीन चीफ मुकेश गुप्ता, एसीबी के एसपी रजनेश सिंह, ईओडब्ल्यू के एसपी अरविंद कुजुर, डीएसपी अशोक कुमार जोशी एवं अन्य अधिकारियों के विरूद्ध शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना कर फर्जी दस्तावेज तैयार करने एवं कम्प्यूटर से हुबहु फर्जी एफआईआर तैयार कर कार्यवाही करने के संबंध में सीजेएम न्यायालय में परिवाद दायर किया था, जिसमें न्यायालय ने 24 दिसंबर 2019 को सिविल लाइन थाना बिलासपुर को दोषी अधिकारियों के विरूद्ध अपराध दर्ज करने का निर्देश दिया था.

न्यायालय के आदेश के पालन में सिविल लाइन थाना बिलासपुर ने अपराध दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की थी. इसी बीच एसीबी के निलंबित पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह एवं अन्य के द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर पर न्यायालय ने जांच पर रोक लगा दी थी.

उल्लेखनीय है कि एसीबी के अधिकारियों ने खारंग संभाग बिलासपुर के कार्यपालन अभियंता आलोक कुमार अग्रवाल एवं अन्य अधिकारियों द्वारा जिन 15 टेंडर्स में करोड़ों की अनियमितता किए जाने एवं चहेते ठेकेदारों को टेंडर देने के संबंध में हुई फर्जी शिकायत को सही ठहराकर वर्ष 2014-15 में झूठी कार्यवाही की गई थी. उन सभी टेंडरों में आलोक अग्रवाल द्वारा कोई भी टेंडर स्वीकृत नहीं किए जाने और सभी टेंडर सही प्रक्रिया का पालन करते हुए मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता द्वारा निविदा में पात्र सही ठेकेदारों के टेंडर स्वीकृत किए जाने के संबंध में एसीबी के उपरोक्त अधिकारियों ने स्वयं ही दिसंबर 2018 में किसी भी प्रकार का अपराध न पाए जाने का खात्मा रिपोर्ट तैयार कर दिया था, जिसे न्यायालय में प्रस्तुत भी कर दिया गया है.

उन टेंडरों में परिवादी पवन कुमार अग्रवाल ने ना ही कभी भाग लिया था ना ही उनको कोई भी निविदा आबंटित की गई थी. एसीबी के अधिकारियों द्वारा जिस एफआईआर के आधार पर कार्यवाही करना दिखाया गया था वैसी कोई भी एफआईआर एसीबी ईओडब्ल्यू रायपुर के थाने में संधारित वैध एफआईआर बुक के पन्नों में पंजीबद्ध ही नहीं है, बल्कि विधि प्रावधानों के विपरीत कम्प्यूटर से फर्जी कूटरचित एफआईआर तैयार कर कार्यवाही किये जाने के संबंध में दस्तावेजी सबूतों के साथ दायर परिवाद में एसीबी के तत्कालीन शीर्ष अधिकरियों के विरूद्ध अपराध दर्ज करने के न्यायालयीन आदेश पर अब पुनः जांच हो सकेगी.

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