उत्तराखंड में सड़क से लेकर जंगल तक और शहर से लेकर गांव तक वन भूमि पर मजार स्थापित होने की शिकायत हुई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जांच हुई तो एक हजार के आसपास मजारें पाई गईं। लिहाजा, इन पर अब बुलडोजर चलाया जा रहा है।

अब जब विशेष अभियान के तौर कार्रवाई शुरू हुई तो खुफिया एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई हैं। अधिकतर मजारों को तोड़े जाने का कहीं कोई विरोध भी नहीं हो रहा है। बहुत से लोग इन्हें मुस्लिम समाज से जोड़कर देखते हैं, जबकि अधिकतर मजारों के संचालन करते हिंदू समाज के लोग पाए गए हैं।

नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार, वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने से पहले वन अधिनियम के तहत नोटिस भेजे जाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन अधिकतर मजारों के मामलों में कोई वारिस सामने नहीं आ रहा है। ऐसे में निर्विघ्न रूप से मजारों को तोड़े जाने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक प्रदेशभर में 314 मजारों को तोड़ा जा चुका है। 35 मंदिर भी हटाए गए हैं। यह सभी धार्मिक स्थल वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए जाने की पुष्टि हुई है।

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