शोधकर्ताओं का मानना है कि एक अच्छे दिन की शुरूआत के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद (Sleep) जरूरी होती है. लेकिन क्या होता है जब आप अपना घर, शहर या देश छोड़कर किसी दूसरी जगह जाते है.
बेहद मानसिक और शारीरिक थकान के बावजूद आपको नींद नहीं आती ? आप सोचते रहते है, करवटें बदलते है, अपने सोने की दिशा और बिस्तर की दिशा बदलने के बाद भी आप सूकून की नींद को तरस रहे होते है. शायद ऐसी स्थिति में थकान के कारण कुछ पलों के लिए आपकी आंखें बंद हो भी जाएं, लेकिन फिर भी आप पूर्ण निंद्रा प्राप्त नहीं कर पाते. इस समय आप जिस स्थिति में होगें, वह होती है अल्पनिंद्रा, यह वह स्थिति है, जब थकान के कारण आपकी आंखें तो बंद है लेकिन आपका दिमाग अभी भी कार्यशील है.
आप सोच रहे होगें कि मुझे तो सिर्फ अपने ही बिस्तर पर नींद आती है या मेरा दिमाग मुझे परेशान कर रहा होता है. लेकिन इसके पीछे की वजह जान आप हैरान रह जाएंगे आप कहेगें इस तरह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था. क्या सच में, मुझे सामान्य नींद आने पर या नहीं आने के पीछे इतना सब कुछ काम कर रहा है.
ऐसा इसलिए क्योंकि इसके पीछे उनका खुद का मस्तिष्क जिम्मेदार है. जो उन्हें जगह बदलने पर सोना नहीं देता. जी हां… आपको यह जानकर सच में हैरानी हो रही होगी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खोज के अनुसार हमारे मस्तिष्क का आधार भाग हमें नई जगह पर आसानी से सोने की अनुमति नहीं देता है. यह तो सभी जानते हैं कि हमारे दिमाग के दो हिस्से होते हैं. इन दोनों हिस्सों का अलग-अलग काम होता है. ये हमारे शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर ही कंट्रोल रखते हैं. इसलिए सोते समय भी उनकी स्थिति दूसरी से भिन्न होती है.
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